दवा के साथ अब दारू भी आवश्यक सेवा : ✍️जितेंद्र शर्मा
छत्तीसगढ़ की जनता धन्य हो गई ऐसी संवेदनशील और रहमदिल सरकार को पाकर। ऐसे समय में जब पूरी मानव जाति कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से भयाक्रांत है, कई देशों सहित भारत में भी लॉक डाउन है, केंद्र और राज्य सरकारों के निर्देश पर लोग घरों में कैद हो गए हैं, उन्हें केवल बेहद जरूरी काम के लिए ही बाहर निकलने की इजाजत है, तब हमारी सरकार एक घटना से इतनी द्रवित हो गई या यों कहें कि उसका सीना फट गया और उसने आनन फानन में एक बड़ा निर्णय ले डाला। अभी कुछ ही दिनों से प्रदेश भर की जिन शराब दुकानों को कोरोना का संक्रमण न फैले इस उद्देश्य से बंद कर रखा था, उसे जनहित में पुनः खोलने का मार्ग प्रशस्त करते हुए एक आदेश जारी कर दिया। आदेश जारी करते हुए गेंद मीडिया के पाले में डाला गया है। यानी हवाला दिया गया है कि मीडिया रिपोर्ट्स से सरकार को ज्ञात हुआ है कि लोग शराब नहीं मिलने के कारण आत्महत्याएं कर रहे हैं। अवैध और नकली शराब की बिक्री हो रही है। जन्मदिन की पार्टी मनाने शराब नहीं मिली तो तीन दोस्तों को स्प्रीट पीकर जान से हाथ धोना पड़ गया। इन घटनाओं से निर्दयी जनता पर भले ही कोई प्रभाव नहीं पड़ा हो, पर सरकार ने इसे बड़ी गंभीरता से लिया है। ये बात अलग है कि मीडिया जनता की और भी बहुत सी तकलीफों को बयां कर रही है, जिसमें अचानक नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद भूख से तड़फते सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर अपने अपने गांव-घर की ओर रुख करने वाले हजारों लोग भी शामिल हैं। लेकिन अभी इसमें मौत की कोई खबर नहीं आई है, इसलिए सरकार ने इस समस्या का निराकरण अभी जन संगठनों पर छोड़ा हुआ है, सरकारी नुमाइंदे भी देखरेख कर रहे हैं। पर यदि भूखों को कोई जनप्रतिनिधि अनाज देने का यत्न करता है तो उसके खिलाफ भीड़ जमा करने का अपराध दर्ज कर लिया जाता है। बहरहाल, छोड़ो इन बातों को। इसमें कुछ रखा नहीं है। हम तो बात कर रहे थे शराब यानी दारू की। हमारे यहां एक बात प्रचलन में है। जब कभी किसी को कोई भी छोटी- बड़ी बीमारी हो जाती है तो सामने वाला यह जरूर पूछता है कि दवा , दारू कुछ लिया कि नहीं। मतलब साफ है लॉक डाउन के वक्त सरकार ने दवाई दुकानों को तो आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में रखा लेकिन दारू को अलग कर दिया था। ऐसा ही चुनाव के पहले भी पूर्ण शराबबंदी का वादा कर पार्टी ने भूल की थी जिसे लागू न कर सरकार ने सुधरी थी, अभी एक घटना के बाद मीडिया ने सरकार को बताया कि अवसर अच्छा है गलती सुधारने का, तो सरकार ने बिना देर किए दारू भट्टियों को पुनः आबाद करने का फैसला कर लिया। अब जब दुकानें खुल जाएंगी, लोग वहां दारू लेने जाएंगे ही, और चूंकि सरकार सुविधा दे रही है, पीने वालों की सुरक्षा का पूरा ध्यान भी रखा ही जायेगा। अब इस रहमदिल सरकार से उम्मीद है कि सरकारी दुकानों को खोलने में पल भर की देरी मत करे और दारू को भी आवश्यक सेवा की सूची में शामिल कर देश के लिए आदर्श बने।
जितेंद्र शर्मा ✍️
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