अब सिर्फ दो बूंद खून की मदद से ब्लैडर कैंसर की पुष्टि संभव होगी , वो भी बिना बायोप्सी के। साथ ही मरीज को सर्जरी के बाद कितना फायदा हुआ, दोबारा ब्लैंडर कैंसर की कितनी आशंका है या नहीं, इसकी भी सटीक जानकारी हो पाएगी।
यह सब पीजीआइ स्थित सेंटर फॉर बायोमिडक रिसर्च (सीबीएमआर) के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता की रिसर्च के बदौलत संभव हो पाया है। डॉक्टर ने एक खास बायोमार्कर की खोज की है, जो बीमारी के सारे राज वक्त रहते खोल देगा। डॉक्टर ने खा है की इस इलाज का फायदा लोगो को जल्द से जल्द मिल पाएगा।
ब्लैडर कैंसर होने की स्थिति में मेटाबोलाइट जिसे बायोमार्कर भी खा जाता है, यह काफी बढ़ जाते हैं। यह किन स्थिति में होते हैं, वक्त रहते सही जानकारी कैसे मिले इसके लिए ही डॉ. गुप्ता ने 'एनएमआर डिराइव्ड टारगेट सीरम मेटाबोलिक बायोमार्कर एप्रीसल ऑफ ब्लैडर कैंसर-ए प्री एंड पोस्ट ऑपरेटिव इवेलुएशन' विषय पर लंबे समय तक शोध किया। इस शोध को जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल एंड बायोमिडकल एनालसिस ने स्वीकार भी किया है।
ऐसे किया शोध
डॉ. गुप्ता ने शोध के लिए करीब 160 लोगों के खून से सीरम निकालकर न्यूक्लियर मैगनेटिक रीसोनेंस (एनएमआर) तकनीक से डाइमिथाइलएमीन, मैलोनेट, लैक्टेट, ग्लूटामिन, हिस्टाडीन और वालीन जैसे बायोमार्कर का पता लगाया। 160 लोगों में 52 स्वस्थ्य लोग थे, जबकि 55 ब्लैडर कैंसर से पीड़ित थे। 53 ऐसे मरीज भी थे जिनकी ब्लैडर कैंसर की सर्जरी हो चुकी थी। तीन महीने बाद रिजल्ट में देखा गया कि जिन मरीजों की सर्जरी हो चुकी है, उनके सीरम में सभी बायोमार्कर का स्तर कम हो गया है। बिल्कुल सामान्य मरीज की तरह।
इस तरह साबित हुआ कि मरीज के दो एमएल खून से निकाले सीरम में खोजे गए बायोमार्कर का अध्ययन करके ब्लैडर कैंसर का पता बिना बायोप्सी के लगा सकते हैं। अगर सर्जरी के बाद भी ये बायोमार्कर बढ़ रहे हैैं तो समझो दोबारा कैंसर की आंशका है।
डॉक्टर गुप्ता के साथ पीजीआइ के डॉ. निलय, प्रो. यूपी सिंह, मेदांता दिल्ली के डॉ. अनिल मंधानी, केजीएमयू के डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. मनोज कुमार, प्रो. एसएन शंखवार भी इस शोध में शामिल थे।
आखिर है क्या ब्लैडर कैंसर
ब्लैडर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को ब्लैडर कैंसर कहते है। ब्लैडर की बाहरी दीवार की मांसपेशियों की परत को सेरोसा कहते हैं जो कि फैटी टिश्यू, एडिपोज़ टिश्यूज़ या लिम्फ नोड्स के बहुत पास होता है। ब्लैडर वो गुब्बारेनुमा अंग है जहां पर यूरीन का संग्रह और निष्कासन होता है। ब्लैडर की आंतरिक दीवार नये बने यूरीन के सम्पर्क में आती है और इसे मूत्राशय की ऊपरी परत कहते हैं। यह ट्रांजि़शनल सेल्स द्वारा घिरी होती है जिसे यूरोथीलियम कहते हैं।