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Wedding traditions: छत्तीसगढ़ की ये वैवाहिक परम्पराएं जानकर आप हो जायँगे हैरान

Wedding traditions: आमतौर पर हिन्दू समाज में ऐसी शादियां होती हैं जिनमें अग्नि को साक्षी मानकर विवाह जैसा पवित्र और शुभ काम होता है लेकिन कुछ विवाहों में पानी को साक्ष‍ी बनाया जाता है। तथा अलग अलग रीती रिवाजों के साथ विवाह संपन्न होता है। 

छत्तीसगढ़ में भी अजब गजब रीती रिवाजों से वैवाहिक परम्पराएं होती है। छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं, जहाँ केवल आदिवासी समाज निवास करता है। इनकी जीवन शैली, इनका रहन सहन. खान पान, पहनावा तथा अन्य सभी रीती रिवाज और परम्पराएं दूसरों से काफी भिन्न होतीं हैं। आइये जाने इनके कुछ वैवाहिक रस्म 

पैठूल विवाह 

इसमें लड़कियां अपने मनपसंद के लड़के से शादी करने के लिए उसके घर में रात के समय चुपचाप घर के पीछे के दरवाजे से घुसती है, और लड़के के ऊपर हल्दी,चावल छिड़क देती है। हल्दी और चावल छिड़कना एक इशारा होता है कि लड़की ने लडके को पसंद कर लिया है । इसके बाद लड़के के पिता गाँव के प्रमुख लोगो को बुलाकर इस बात की सूचना देता है कि कोई लड़की हमारे घर में पैठुल हो गई है। इसके बाद सारे गांव में इसकी सुचना फैलाई जाती है फिर लड़की को बुलाकर उससे उसकी इच्छा पूछी जाती है। फिर सभी की सहमति से घर के आँगन में मंडप बनाया जाता है और विभिन्न शादी की रश्मे जैसे भांवर आदि कर विवाह संपन्न कराया जाता है। इसके बाद लड़की के घर खबर भेज दी जाती है कि उनकी लड़की हमारे घर पैठुल हो गई।

उधरिया विवाह 

उधरिया विवाह खासतौर पर पुनर्विवाह की इच्छुक महिला द्वारा किया जाता है। जिसमे महिला अपने पति को छोड़कर किसी दुसरे व्यक्ति से शादी करने का मन बनती है। इसमें वह महिला अपने पति को छोड़कर किसी दुसरे आदमी के घर में घुस जाती है। इसके बाद गाँव में पंच बैठाया जाता है। इस तरह घर में घुसी महिला पर होने वाला देवर एक लोटा गरम पानी डाल देता है। जिसका मतलब है कि महिला फिर से पवित्र हो गई, और अगले दिन पंचो को शराब पिलाई जाती है। पहला पति दुसरे नये पति से दवा लेता है। दवा से तात्पर्य हर्जाना वसूल करना होता है। दावा में 500 रुपए नगद और गाय बैल भी शामिल होते है। एक रस्म के तहत पूर्वपति खप्पर में कुछ सिक्के,घास और कच्चा धागा रखकर गोववालों के सामने तोड़ देता है, जिसका अर्थ पुराने संबंध टूटना है। फिर सभी मिल कर शराब पीते है, नवविवाहिता सभी को भोजन कराती है इस तरह यह विवाह संपन्न होता है।

चोर विवाह 

चोर विवाह खासतौर से बैगा जाति में प्रचलित है। यह एक तरह का प्रेम विवाह होता है। इस प्रेम विवाह में लड़का और लड़की अपनी मर्जी से भाग जाते हैं| इसके बाद वे किसी मित्र को बोलकर अपने घर में इस विषय की जानकारी पहुँचवाते है कि वे लोग इस समय इस जगह पर मिलेंगे| खबर पाकर उनके माता-पिता उन्हें मनाकर अपने घर ले आते हैं और उनकी शादी करवा दी जाती है|

ये कुछ प्रमुख विवाह हैं जो आदिवासी समाज में ज्यादा प्रचलित हैं, ऐसे और भी अन्य वैवाहिक परम्पराये छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज में प्रचलित हैं। 

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