प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशहित में क्रिमीलेयर और नौकरी पेशा लोगों को केंद्र सरकार द्वारा लायी गयी रसोई गैस योजना के लिए सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी। जिसका काफी असर भी देखने को भी मिला। मोदी के अपील के बाद साढ़े पांच हजार शहरी उपभोक्ताओं ने सब्सिडी छोड़ने, सहमति पत्र भर दिया था। लेकिन सब्सिडी छोड़कर वाहवाही प्राप्त करने वाले ये उपभोक्ता अब पछताने लगे हैं।
रसोई गैस आपूर्ति में डीबीटीएल योजना के साथ ही केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने सब्सिडी की राशि उपभोक्ताओं के बैंक खाते में जमा कराने की घोषणा की थी। सब्सिडी प्राप्त करने के लिए उपभोक्ताओं को अपना बैंक अकाउंट नंबर से आधार नंबर को लिंक कराने की शर्त रखी थी।
इसके बिना उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ नहीं मिलने की शर्त थी। जिन उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ मिल रहा है उनके बैंक अकाउंट नंबर आधार से लिंक है। पीएम मोदी ने योजना की शुरुआत के तकरीबन छह महीने बाद देशभर के ऐसे उपभोक्ता जो क्रिमीलेयर और आर्थिक रूप से सक्षम हैं उन्हें सब्सिडी का लाभ न लेने की अपील की थी।
पीएम मोदी की इस अपील का काफी असर भी हुआ। रसोई गैस निर्माता कंपनियों ने ईमेल के जरिए सहमति पत्र का नमूना अपने एजेंसी संचालकों को भेजते हुए इसे अपलोड कर प्रिंट कराने के निर्देश जारी किए थे। साथ ही सब्सिडी छोड़ने अभियान चलाने की बात भी कही थी।
अब सोई गैस सिलेंडरों की बढ़ती कीमतों ने ऐसे उपभोक्ताओं खासकर ग्रहिणियों को परेशान कर दिया है। गृहिणियां अब सब्सिडी का लाभ लेने दबाव बनाने लगी हैं। दबाव के चलते उपभोक्ता अब एजेंसी संचालकों पर सब्सिडी सरेंडर करने वाली सहमति पत्र को रद करने और लॉक खोलने दबाव बनाने लगे हैं।
पीएम के आह्वान के बाद पांच हजार 553 ने छोड़ी थी सब्सिडी
पीएम के अपील के बाद पांच हजार 553 उपभोक्ताओं ने सब्सिडी छोड़ने का एलान किया था। और एजेंसी में जाकर सहमति पत्र जमा किया था। इसमें शहर में निवास करने वाले क्रिमीलेयर समेत अन्य उपभोक्ता शामिल हैं। सहमति पत्र भरने वाले उपभोक्ताओं की सूची एजेंसी संचालकों ने एलपीजी निर्माता कंपनियों को भेज दी थी। जाहिर है इनको सब्सिडी का लाभ नहीं मिल रहा है।