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ख़ैरागढ़. आदिवासी युवक राजेश धुर्वे की ज़मीन को व्यवसायी नरेंद्र जैन के अपनी संस्था के नाम से दानपत्र कराए जाने के मामले में रजिस्ट्रार व राजस्व अमले की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं। क्योंकि आख़िर तत्कालीन पंजीयन कार्यालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने किस तरह से आदिवासी स्व.मोहन धुर्वे की निजी ज़मीन को दानपत्र कर दिया। इस पर सवाल खड़े ही रहे हैं। राजेश ने बताया कि उसके पिता कभी भी क़र्ज़ नहीं लेते थे। कभी ज़रूरत पड़ी भी तो जान पहचान वालों से उधार मात्र लिया है। पिता की मौत के कुछ दिन बाद एक अधिकारी आए थे। जिन्होंने खुद को पीडब्लूडी का अधिकारी बताया,और ज़मीन के दानपत्र किए जाने की जानकारी दी। और मुआवज़े की भी जानकारी दी। लेकिन मेरी व परिवार के किसी भी सदस्य की जानकारी में ज़मीन को दानपत्र किए जाने की जानकारी नहीं है। हम खुद ग़रीब हैं। और पिता भी वन विभाग में ड्राइवर थे। तो ज़मीन को दान दिए जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। और ज़मीन का नामांतरण पिता के निधन के बाद मेरे नाम नरेंद्र ने करवाया। फिर मुआवजा मिलने के बाद 2 लाख रुपये दिए। जबकि मुआवजे में 22 लाख 65 हज़ार मिले थे।
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आरोपों की फेहरिस्त लंबी
ज़मीन के मामले में नरेंद्र जैन पर लगने वाले आरोपों की फेहरिस्त लंबी है। व्यवसायी अनिल जैन ने अमलीडीह में ज़मीन में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जिसके बाद नरेंद्र जैन और अनिल जैन के बीच मारपीट भी हुई थी। इसी तरह धरमपुरा में अवैध प्लॉटिंग के मामले में नगरपालिका ने नोटिस जारी किया। जैन मंदिर के पास नाले को निजी ज़मीन का हिस्सा बताकर व्यावसायिक काम्प्लेक्स निर्माण का मामला भी सामने आ चुका है।
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कौन हैं नरेंद्र जैन?
नरेंद्र जैन शहर के नामचीन व्यवसायियों में शामिल हैं। वे शहर के पॉश इलाके में ट्रैक्टर शो रूम के मालिक हैं। वे सकल जैन श्री संघ और व्यापारी संघ खैरागढ़ के अध्यक्ष हैं।
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आरोप लगे पर साबित नहीं हुए
व्यवसायी नरेंद्र पर बीते कुछ दिनों में ज़मीन के मामले में कई आरोप लगे। लेकिन नोटिस जारी होने के बाद इन मामलों में ज्यादा कुछ नहीं हुआ ।
00 अमलीडीह में राजस्व अमला जांच करने गया पर सरकारी जमीन ही नहीं निकाल सका ?
00 धरमपुरा में अवैध प्लॉटिंग के मामले में नोटिस जारी हुआ।पर मामला ठंडे बस्ते में है।
00 पालिका और पटवारियों की टीम ने जैन मंदिर से लगे प्राकृतिक नाले की ज़मीन को निजी बताकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
00 व्यावसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण प्रशासन के नाक के नीचे है। पर यहां भी कार्यवाही सिफर है।
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पंजीयन से पूर्व अनुमति आवश्यक - रजिस्ट्रार
मामले में उप पंजीयक कार्यालय के रजिस्ट्रार शैलेंद्र कुमार दानी का कहना है कि ऐसे मामलों में पंजीयन से पूर्व कलेक्टर की अनुमति आवश्यक है। धारा 165 (6) के तहत अनुमति के बाद ही पंजीयन संभव हो सकता है। बिना इसके पंजीयन नहीं हो सकता। मैंने दस्तावेजों का अवलोकन किया है गलत हुआ है, पुलिस यदि जानकारी चाहेंगी तो हम उपलब्ध करायेंगे |
दानपत्र प्रारंभ से शून्य - धनराज ताम्रकार,अधिवक्ता
मामले में राजस्व मामलों के जानकार व वरिष्ठ अधिवक्ता धनराज ताम्रकार का कहना है कि इस मामले में दानपत्र प्रारंभ से ही शून्य है,क्योंकि किसी भी तरह से आदिवासी की ज़मीन को इस तरह से दानपत्र नहीं कराया जा सकता है। मामले तत्कालीन रजिस्ट्रार और राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े ही रहे हैं।
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झूठा और मनगढ़ंत है मामला - नरेंद्र जैन
व्यवसायी नरेंद्र जैन पहले ही पूरे मामले को झूठा और मनगढ़ंत बता चुके हैं। नरेंद्र का कहना है कि उनकी ऐसी कोई ज़मीन नहीं है। वे इस पर मिलकर अपनी बात रखेंगें।
प्रशासनिक अमला डाल रहा पर्दा - अनिल जैन
मामले में व्यवसायी अनिल जैन ने कई आरोप लगाए हैं। अनिल ने कहा कि पूरा प्रशासनिक अमला नरेंद्र के मामलों में पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है। प्रकरण कोई भी हो और सत्ता किसी भी दल की हो, एक भी प्रकरण में न ही पूरी तरह से जांच हो रहा है और न कोई कार्यवाही हो रही है।