रायपुर। घर में रंगीन मछली पालने का शौक रखने वालों को अब इसके लिए भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। न ही दूर जाना पड़ेगा और न ही अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र में पहली बार नौ प्रजातियों की मछलियां तैयार की गई हैं।
ये सस्ती दर पर उपलब्ध हैं। एक समय इन मछलियों को खरीदने के लिए लोगों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था। विभाग के प्रभारी डॉ. एस सासमल ने बताया कि कोलकाता से 14 रंगीन प्रजातियों को लाकर केंद्र में ब्रीडिंग की गई, जिनमें से नौ प्रजातियों में सफलता मिली है। इसे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्ध बताई जा रही है।
मछली के लिए लोकल मार्केट नहीं
विभागीय अधिकारियों के अनुसार इसकी शुरुआत 2017 में पूरी तरह से हुई। रोहू, कतला, मृगल जैसी लोकल मछलियों के स्पान तैयार करने के साथ रंगीन मछली की भी पैदावार शुरू की गई। प्रदेश में रंगीन मछलियों का मार्केट नहीं होने की वजह से लोग अधिक खर्च कर कोलकाता, मुंबई, गोवा आदि शहरों से खरीदते थे।
बाहर से मछली लाने पर उन्हें यहां पालने में दिक्कत होती थी। क्योंकि पानी बदलने के साथ मौसम का बड़ा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि जिससे ब्रीडिंग में सौ फीसद सफलता नहीं मिल पाई। पांच प्रजातियां अनमेच्योर हैं, लेकिन इन पर अभी भी प्रयास चल रहा है