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मनरेगा से मिली डबरी ने बदली किस्मत सिंचाई सुविधा के साथ ही मछली पालन से रामसिंह की बढ़ी कमाई Featured

By June 17, 2020 627 0
  • मनरेगा से मिली डबरी ने बदली किस्मत
  • सिंचाई सुविधा के साथ ही मछली पालन का मिला मौका
  • खेती और मछली पालन से रामसिंह की बढ़ी कमाई

रायपुर. 15 जून 2020. मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना) ने जिन लोगों की जिंदगी बदली है, उनमें रामसिंह भी एक हैं। पहले बरसात के भरोसे खरीफ फसल के बाद मजदूरी करने वाले किसान रामसिंह के खेतों में अब साल भर हरियाली रहती है। मनरेगा से खेत में बने डबरी में वे मछली पालन भी करते हैं। कृषि के साथ मछली पालन के अतिरिक्त व्यवसाय ने उनकी कमाई बढ़ा दी है।

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वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौरान जब लोग घरों में रोजी-रोटी की चिंता कर रहे थे, उस समय रामसिंह अपनी डबरी में मछली पालन में व्यस्त थे। लॉक-डाउन के दौरान उन्होंने 12 हजार रूपए की मछली बेची। मनरेगा के तहत आजीविका संवर्धन के लिए खोदे गए डबरी ने विपरीत समय में इस अतिरिक्त कमाई का साधन दिया। खेत में डबरी निर्माण के बाद धान और गेहूं की फसल के साथ रामसिंह ने मछली पालन भी शुरू किया। डबरी के पानी से सिंचाई की व्यवस्था होने के बाद धान की अच्छी पैदावार हुई। उन्होंने सोसाइटी में धान बेचकर एक लाख 20 हजार रूपए की कमाई की।

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कोरिया जिले के खड़गवाँ विकासखण्ड के सुदूर गाँव पेंड्री के किसान रामसिंह अपने पहले के हालात के बारे में बताते हैं कि बारिश के भरोसे होने वाली खेती से वह और उनका परिवार केवल सालभर खाने लायक अनाज ही उगा पाता था। बाकी जरूरतों के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी। मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए खेत में डबरी निर्माण से मछली पालन और खेती के लिए पानी के प्रबंधन की बात जानकर उन्होंने भी आवेदन दिया।

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ग्राम पंचायत ने उनके खेत में डबरी निर्माण के लिए एक लाख 60 हजार रूपए की मंजूरी देकर काम शुरू करवा दिया। तीन सप्ताह तक चले इस कार्य में रामसिंह के परिवार ने भी काम किया। इस काम से उनके परिवार को 14 हजार रूपए की मजदूरी प्राप्त हुई। डबरी निर्माण के बाद से बारिश के भरोसे होने वाली खेती और मजदूरी से गुजर-बसर करने वाले छह एकड़ जोत के किसान रामसिंह की जिंदगी बदल गई है। लॉक-डाउन और आर्थिक मंदी के बावजूद उनकी आजीविका अप्रभावित रही। मनरेगा से मिला संसाधन इस कठिन दौर में उनका संबल बना और नियमित आय का साधन भी।

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