सेवा ही सबसे बड़ा धर्म / नर सेवा ही नारायण सेवा है। पिपरिया की शबाना बेगम पंडाल लगाकर पदयात्रियों की सेवा कर रही हैं। यह दूसरा साल है। उनके पति शेख इस्माइल उनके साथ हैं। बच्चे इम्तियाज और नियाज भी पंडाल में पहुंच ही जाते हैं। उनके इस सेवा भाव को देख पूरा गांव सहयोग कर रहा है।
नियाव@ खैरागढ़
पदयात्रियों की सेवा के लिए संगीत नगरी से धर्म नगरी तक लगे छोटे-बड़े पंडालों में डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी के भक्तों की खूब सेवा हो रही है। वहीं पिपरिया के पंडाल में सेवा भाव से जुटी मुस्लिम महिला शबाना बेगम इंसानियत की अलग ही परिभाषा गढ़ रही हैं। वह अरबी में लिखी कुरान की एक वर्क रोज पढ़ती हैं और मतलब केवल एक ही समझती हैं कि इंसान की सेवा करो। बस इसी एक भाव के कारण वे दो साल से सेवा पंडाल लगा रही हैं और पूरा गांव उनका साथ दे रहा है।
सेवा भाव: पंडाल में पदयात्रियों की देखभाल करती शबाना

कुरआन से ली सीख
रोज कुरान की आयतें पढ़ना और देवी भक्तों की सेवा करना उन्हें एक भाव महसूस कराता है। शबाना कहती हैं कि उन्हें अरबी आती है। वे अरबी में लिखी आयतें पढ़ लेती हैं, लेकिन उनके शाब्दिक अर्थ नहीं समझतीं। हां उसका सार उन्हें मालूम है, इंसानियत। वह अक्सर नवरात्रि के दौरान पैदल चलकर जाने वाले भक्तों को देखा करती थीं। तब मन में भाव आते थे कि उनकी सेवा करुं, लेकिन अपनी इच्छा जाहिर करने में संकोच करती थी। पिछले साल ही उन्होंने दृढ़ संकल्पित होकर सेवा पंडाल लगाने का मन बनाया। उनके पति शेख इस्माइल ने उनका साथ दिया और पिपरिया के रहवासियों ने भी उनकी इस भावना का सम्मान करते हुए सहयोग का आश्वासन दिया।
पति के साथ बच्चे करते हैं सेवा
शबाना की अनुपस्थिति में उनके पति शेख इस्माइल पंडाल में मौजूद रहते हैं। इसके अलावा 16 साल का इम्तियाज और 11 साल का नियाज भी वहां पहुंचता है। उनकी सहेली सीमा पाल हर पाल साथ रहती हैं। पंडाल में होने वाला खर्च गांव वालों के सहयोग से पूरा हो रहा है।
सुबह पोहे और चाय से होता है स्वागत
पिपरिया के पंडाल में रोज सुबह गरमा गरम पोहे और चाय से पदयात्रियों का स्वागत होता है। शबाना ने बताया कि वे सुबह नहाने के बाद पंडाल के पीछे चूल्हा चलाकर सबसे पहले पोहा बनाती हैं ताकि देवी के भक्तों को भूखे पेट सफर न करना पड़े।
30 महिला समूहें बना चुकी हैं शबाना
शबाना सीआरपी की ट्रेनिंग ले चुकी हैं ओर पिपरिया के कई समूहों को सामुदायि भवन से जोड़ने के बाद तकरीबन 30 समूहें बना चुकी हैं। फिलहाल महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि भक्तों की सेवा करना उन्हें अच्छा लगता है और वह हमेशा ये काम करना चाहती हैं।
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