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ऐसे हुई शुरुआत/ जयपुर में मुलाकात बाद इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के प्रो. वी नागदास और प्रो. प्रणाम सिंह को दिया आस्ट्रिया आने का निमंत्रण। वहीं बना खैरागढ़ में इंटरनेशनल फेस्टिवल शुरू करने का कार्यक्रम।
नियाव@ खैरागढ़
चार साल पहले जयपुर में सिंपोसियम हुआ। वहां प्रो. प्रणाम सिंह से आस्ट्रिया की क्रिस्टिन की मुलाकात हुई। क्रिस्टिन ने उन्हें आस्ट्रिया आने का निमंत्रण दिया और वे प्रो. वी नागदास को भी साथ ले गए। इस तिकड़ी ने संगीत विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल ग्राफिक्स आर्ट फेस्टिवल की प्लानिंग की। क्रिस्टिन सूत्रधार बनीं और सिलसिला शुरू हो गया। खुद क्रिस्टिन ने यह राज खोला।
आस्ट्रिया की मुस्कान: फेस्टिवल के दौरान तीनों कलाकारों की खुशी से जाहिर हो रहा उत्सव का उत्साह
क्रिस्टिन ने बताया कि हर साल की तरह 2014 में आयोजित जयपुर के सिंपोसियम में वे भी पहुंचीं। वर्कशाॅप के दौरान प्रो. प्रणाम सिंह से दोस्ती हुई। बातों ही बातों में प्रणाम को आस्ट्रिया आने का निमंत्रण दिया। इस पर उन्होंने प्रो. नागदास के बारे में बताया और उन्हें भी साथ लाने की बात कही। दोनों आस्ट्रिया पहुंचे। प्रो. नागदास ने खैरागढ़ में इंटरनेशनल फेस्टिवल का प्रस्ताव रखा। यहीं से शुरुआत हुई। प्रो. नागदास का कहना है कि क्रिस्टिन की ही बदौलत यह संभव हुआ। वह लगातार तीन साल से इस फेस्टिवल में आ रही हैं और उतनी ही ऊर्जा के साथ काम कर रही हैं।
पेशे से आर्थोडांटिस्ट और दिल से आर्टिस्ट हैं सुसाना
आस्ट्रिया की ही सुसाना फुविर्थ पेशे से आर्थोडांटिस्ट (दांतों का डॉक्टर) हैं। वे भी तीसरी बार खैरागढ़ आई हैं। उनका कहना है कि अगर आप आर्ट में रुचि रखते हैं तो आप बहुत आसानी से कर सकते हैं। महिलाओं के दांतों को सुधारकर उन्हें एक खूबसूरत चेहरा देने का काम भी वे बखूबी करती हैं।
हर कलाकार का अपना स्टाइल
हर कलाकार का अपना एक स्टाइल होता है, जिसे स्वीकारना चाहिए। उसे वैसा ही बने रहने देना चाहिए। अगर आप अपने काम में सही हैं तो आप हमेशा सच्चे ही रहेंगे।
-क्रिस्टिन, आस्ट्रिया
हमारे पास ऐसा विवि नहीं
यूरोप में ट्रेडिशनल डांस और म्युजिक है, लेकिन इससे युवाओं को जोड़ना मुश्किल है। हमारे पास ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है, जो ट्रेडिशनल डांस सिखाता हो।
-सुसाना फुविर्थ, आर्थोडांटिस्ट आस्ट्रिया
यहां से सीखकर जाऊंगी
मैं पहली बार इंडिया आई हूं। यूनिवर्सिटी के छात्र काफी क्रिएटिव हैं। उनके पास बहुत सारे आइडियाज हैं। ये जैसे हैं, वैसे ही रहें। मैं यहां से सीखकर जाऊंगी।
-रेनाते ब्रांडस्ततर, क्रिएटिव ट्रेनर, आस्ट्रिया
(जनवरी 2018 में दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर)
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