मंगलवार देर रात मध्य प्रदेश की सियासत में मचे हंगामे के बाद बुधवार का दिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के लिए काफी राहत भरा रहा। पिछले तीन दिन से विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबर से कमलनाथ सरकार की नींद उड़ी हुई थी, लेकिन बुधवार के दिन का पारा जैसे-जैसे चढ़ा, कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बादल छंटते नजर आए।
शाम तक खबर आई कि उसके चार विधायक भोपाल लौट आए हैं। इसके बाद से सियासी संकट कुछ हद तक कमजोर होता दिख रहा है पर तीन अन्य विधायकों के अभी भी गायब होने के कारण सरकार के भविष्य पर सस्पेंस बरकरार है। इन्हें बेंगलुरु ले जाए जाने की खबर है।
कैबिनेट विस्तार को अंजाम दिया जा सकता है
इधर बुधवार रात को कमलनाथ सरकार के प्रबंधकों ने नाराज विधायकों को लॉलीपाप देने के लिहाज से कैबिनेट विस्तार का पांसा फेंका। हालांकि पार्टी ने इसकी अधिकृत घोषणा नहीं की, इसलिए इसे शिगूफा भी माना जा रहा है। कांग्रेस के संकटमोचकों के मुताबिक होली के आसपास कैबिनेट विस्तार को अंजाम दिया जा सकता है। देर रात एआईसीसी के प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया की मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई बैठक को कैबिनेट विस्तार की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
बीजेपी पर लगाया आरोप
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर आरोप लगते हुए कहा की भाजपा माफियाओं के साथ मिलकर प्रदेश में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की लगातार असफल कोशिश कर रही है। भाजपा सरकार के 15 साल में हर तरह का माफिया प्रदेश में पनपा और जब इसके सफाए का अभियान चलाया जा रहा है तो यह उसे रास नहीं आ रहा है।
भाजपा के मंसूबे मुंगेरीलाल के सपने साबित होंगे: कमलनाथ
विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का चुनाव हो या बजट, हर बार सदन में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। इस बार भी भाजपा के मंसूबे मुंगेरीलाल के सपने साबित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित कई राज्यों में लोकतंत्र व संवैधानिक मूल्यों की हत्या करने का काम किया है। यही चीज मप्र में दोहराने की कोशिश हैं, लेकिन हमें विधायकों पर पूरा भरोसा है।
सिंधिया ने तोड़ी चुप्पी
कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल जब तक छाए तब तक कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दूरी बनाए रखी। मीडिया से तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं हैं। उनके समर्थकों ने भी तीन दिन चले इस एपीसोड के दौरान मौन साधे रखा। सिंधिया के मौन पर भी तमाम सवाल उठ रहे हैं। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि सिंधिया का मौन बुधवार शाम को तब टूटा, जब संकट कमजोर पड़ने लगा था। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है।