खैरागढ़. शहर एक बार फिर गंभीर जल संकट से जूझ रहा है, और इसकी जड़ें बीते एक दशक पुरानी जल आवर्धन योजना में छिपी हैं, जो आज भी भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण अधूरी है। खैरागढ़ विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के निर्देश पर मिशन संडे टीम ने संयोजक मनराखन देवांगन के नेतृत्व में गंजीपारा वार्ड और लालपुर स्टाफ डेम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई गंभीर खामियां और प्रशासनिक उदासीनता उजागर हुई।निरीक्षण में शामिल रहे डॉ. अरुण भारद्वाज, दीपक देवांगन (नेता प्रतिपक्ष), रविंद्र अहिरवार, महेश यादव, सूर्यकांत यादव, शेखर दास वैष्णव, खेमराज पटेल, हरिदर्शन धीमर, सूरज देवांगन, भूपेंद्र वर्मा, सूरज महिपाल, उमेश साहू, आकाश सारथी समेत मिशन संडे की पूरी टीम ने मौके पर उपस्थित रहकर स्थिति का आकलन किया।
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न काम हुआ, न पार दर्शिता रही
करीब 8-10 वर्ष पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में खैरागढ़ की जल समस्या को दूर करने के लिए 37 करोड़ रुपये की जल आवर्धन योजना स्वीकृत की गई थी। योजना के तहत रानी रश्मिदेवी जलाशय (चिंदारी डेम) से पानी पाइपलाइन के ज़रिये शहर के सभी वार्डों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन न तो समय पर काम हुआ, न ही पारदर्शिता रही।
दो वर्ष पूर्व नगर की मुख्य सड़कों और गलियों को बेरहमी से खोदकर पाइपलाइन बिछाई गई, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा, सड़क दुर्घटनाएँ हुईं और जगह-जगह गड्ढे बन गए। लेकिन विडंबना यह रही कि आज तक उन पाइपों से पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई।
नियमानुसार, पहले चिंदारी डेम से शहर तक पाइप लाइन बिछाई जानी थी, लेकिन नगर पालिका ने सीधे शहर में पाइपलाइन डाल दी, जो तकनीकी दृष्टि से गलत और अधूरी योजना थी पानी की सप्लाई रानी रश्मि देवी जलाशय से नहीं होकर लालपुर स्टाफ डेम से की जाएगी।
धरातल पर नहीं हुआ काम
स्टॉफ डेम की ऊचाई बढ़ाने व पानी स्टोर करने के लिए पुनः 2.46 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।लालपुर स्टाफ डेम, जो पहले ही नगर पालिका द्वारा बनाया गया था, उसकी ऊँचाई नहीं बढ़ाई गई है, और उसके गेट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। डेम के ऊपर की सड़कों की हालत खस्ताहाल है; गिट्टियाँ उखड़ चुकी हैं और सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। सिचाई विभाग को जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद भी महज़ लीपापोती कर राशि आहरित कर ली गई, जबकि धरातल पर कोई प्रभावी कार्य नहीं हुआ।
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रियासत कालीन पाइप लाइन से सप्लाई
गंजीपारा में बना वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) लगभग एक वर्ष पहले बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन आज तक उससे एक बूंद पानी भी किसी वार्ड में नहीं पहुँचा। नतीजा यह है कि जल आवर्धन योजना सिर्फ कागज़ों में सिमट कर रह गई है।
शहर में आज भी वही पुरानी, रियासतकालीन पाइपलाइन से ही पानी की आपूर्ति हो रही है।
जल शोधन संयँत्र भी ठप्प
वर्ष 2011 में 80 लाख की लागत से पीएचई विभाग ने जल शोधन संयंत्र योजना शुरू की गई थी, जिसमें गंजीपारा और राजफैमिली क्षेत्र में पाइप डाले गए थे, लेकिन आज तक वह योजना भी अधूरी है।
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हादसे का इंतज़ार
शहर के कई वार्डों में पाइप लाइनें टूटी हुई हैं। दाऊचौरा में विगत चार-पांच दिनों से एक खराब पानी का टैंकर मेन रोड को जाम कर खड़ा है, जिससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन सोया हुआ है, मानो किसी बड़े हादसे का इंतजार हो।
अधिकारियों पर हो कार्यवाही
मिशन संडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन से मांग की है कि – हर वार्ड में सुचारु रूप से पानी की व्यवस्था तत्काल की जाए। जल आवर्धन योजना में लिप्त भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो। जल संकट से निपटने हेतु युद्धस्तर पर टैंकर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।