ख़ैरागढ़. मामले में शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने कलेक्टर डॉ. जगदीश सोनकर से शिकायत की है। पदाधिकारियों कमलेश्वर सिंह,विभाष पाठक,सुनील गुनी सहित अन्य ने कलेक्टर सोनकर को बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव द्वारा खैरागढ़ एवं छुईखदान के वि.ख. शिक्षा अधिकारी के प्रस्ताव पर प्राथमिक शाला प्रधान पाठक की पदोन्नति आदेश जारी किया है जिसमें नियमों का पालन नहीं किया गया है। स्थानान्तरण नीति एवं पदोन्नति में पदांकन करते समय शासकीय सेवक की पति पत्नि को एक ही वि. खं. में आवागमन की सुविधा को ध्यान मे रखकर सड़क मार्ग मे स्थित शाला में पदांकित करना है परन्तु इस नियम का उल्लंखन करते हुये पदोन्नति आदेश जारी किया गया है जिसमें वि.खं. खैरागढ़ के 40-50 महिला शिक्षकों को छुईखदान विख में तथा छुईखदान के 25-30 महिला शिक्षिकाओं को खैरागढ़ में पदांकित किया गया है जो कि नियम विरूद्ध है । पदांकन आदेश की एकजयी सूची जारी की जाति है परन्तु व्यक्तिगत रूप से आदेश वितरित किया गया है ।

खराब स्वास्थ्य वालों को भेजा दूसरे ब्लॉक
कई ऐसे महिला शिक्षक है जिनका स्वास्थ्य खराव रहता है या बाहर है उन्हें आदेश लेने में कठिनाई हो रही है तथा व्यक्तिगत आदेश वितरित करने के पीछे पैसे का लेन देन की संभावना को बल मिल रहा है। ग्रामीण अंचल से शहरी क्षेत्र के स्कुल में पदांकन करने से बचने का नियम है। परन्तु ग्रामीण स्कुलों के शिक्षकों को पैसे का लेन देन कर शहर के स्कुलो में पदांकित किया गया है। पदोन्नति सूची को तत्काल निरस्त करने की मांग के साथ ही पूरे प्रकरण की निष्पक्षता से जाँच की मांग की गई है।
बीईओ और स्टॉफ पर लगाया खुला आरोप
शिक्षक पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि विकास खंड खैरागढ़ के लिपिक भूनेश्वर ठाकुर,रविन्द्र गहरवार के साथ शिक्षक मनीष यादव की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है । वि.खं. शिक्षा अधिकारी महेश भुवार्य की कार्य प्रणाली प्रारंभ से ही लेन - देन करने की रही है। यह कहा जाये तो शहर के स्कूलों में, सड़क मार्ग पर सुविधा जनक स्थानों में उन्ही शिक्षक शिक्षिकाओं का पदांकन किया गया है जिनके परिवार के लोग रसूकदार एवं प्रभावशील हो तथा इसके अलावा इन्होने 50 से 60 हजार रूपये तक का लेन किया हो या कबूल किया हो उन्ही का सुविधा जनक स्थान में पदांकन किया गया है।
दस्तावेजों के लिए मांगते है पैसे
शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिक संवर्ग कर्मचारी के हौसले इतने बुलन्द है कि कर्मचारियों के साथ भी दुर्व्यवहार करते है। यदि शिक्षक अपनी समस्याओ को लेकर जाते है तो आवेदन को रख लेते है उनकी पावती नही दी जाती न समस्या का निराकरण करते है। उनसे सामान्य से सामान्य पे स्लीप या अन्य आवश्यक दस्तावेज के लिये भी 500 -1000 रूपये तक का मांग करते है।
