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ख़ैरागढ़ 00 कला स्रोत आर्ट गैलरी लखनऊ में आर्ट फैमिली, इंडिया द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कला पर रैनबो शीर्षक से सामूहिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । प्रदर्शनी का उद्घाटन मुकेश बहादुर सिंह (कार्यपरिषद सदस्य एवं अध्यक्ष लखनऊ डेस्क, इंडो अमेरिकन चेम्बर ऑफ़ कामर्स) ने किया। मूर्तिकार किशोर शर्मा ने बताया कि रैनबो नामक इस प्रदर्शनी में भारत और बांग्लादेश के 19 प्रतिष्ठित कलाकारों का काम प्रदर्शित किया था। जो अपनी सृजन से वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देते हैं। कला एक अभिव्यक्ति है जिसे धर्म, जाति, देश आदि में नही बांटा जा सकता है ।
प्रदर्शनी का संचालन बंगाल के प्रख्यात चित्रकार और आर्ट फैमिली के सचिव राजीव सिकदर ने किया । उनका कहना है इस प्रदर्शनी का उदेश्य मानव जाति को वापस समानता के करीब लाना है, जो भावनाओं के अत्यधिक महत्व से ही सम्भव है और कला में भावनाओं का समादेश होता है इसलिए इस प्रकार की कला प्रदर्शन का आयोजन बहुत जरूरी है । इस प्रदर्शनी में मूर्तकला और चित्रकला सौंदर्य की दृष्टि से समृद्ध और महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा खैरागढ़ से आमंत्रित मूर्तिकार किशोर शर्मा की प्रदर्शित ब्रॉन्ज़ से निर्मित छत्तीसगढ़ की संस्कृति को परिभाषित करती कृति में मानवीय भावनाओं को प्रभाववादी तरीके से शरीर मे गहराई तक उकेरते है और वे सफल शिक्षक और मूर्तिकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका में है ।
प्रोफेसर एसपी वर्मा रचनात्मक परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अंतर की व्यख्या करते दिखे , वही त्रिपुरा के जयदिप पारंपरिक विषयों को आधुनिक परिवेश में देखने का प्रयास करते दिखे तो प्रोफेसर बुशरा नसीम ने अपनी खूबसूरत पेंटिंग्स में महिलाओं के अलग-अलग मुड को दर्शाया है। चित्रकार मोहम्मद कमर ने अपने चित्रों के माध्यम से पशुओं की वेदना को दर्शाया है।
चित्रकार राजूराम रतन की पेंटिग्स चरम वास्तविकता के बहुत करीब है जो महान चित्रकार सेल्वाडर डाली की याद दिलाती है।फुआद ने पक्षियों की भावनाओं को पढ़ने का सफल प्रयास किया है तो सौमेन कर की मूर्तियां शरीर के आवेग को प्रस्तुत करती है जो भावनाओं की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करती है।
दिया संदेश
बांग्लादेश की कलाकार शैला ने एक पेड़ के तने के माध्यम से उसके जीवन को चित्रित करने की कोशिश की जिसे यह महिलाओं को जीवन का रूपक मानती है। अलीगढ़ के प्रोफेसर एस ए जाफ़र एक अभिव्यंजना वादी एवं अतियथार्थवादी अभिव्यक्ति के चित्रकार है। कलाकार संजय कुमार जो मानव स्वभाव को अतियथार्थ रूप में चित्रित करते है। निकिता शर्मा एक अमूर्त चित्रकार है जो तैरती हुई संरचनाओं को चित्रित करती हैं।
अमूर्त जल के गुण हैं मीनाक्षी की कृतियों में
फोटो कलाकार ऋत्विक रॉय दार्जिलिंग क्षेत्र के धार्मिक उत्सवों के नृत्य की अभिव्यतियों को कैमरे में कैद किया है जो परंपराओं में प्रभावशाली और भावनाओं में अभिव्यंजक है। बांग्लादेश हसन इमाम ज्यादातर शहरी परिदृश्यों का चित्रण करते हैं जिसमें वह मानवीय गतिविधियों का मिश्रण करते हैं। मौसमी मल्लिक विभिन्न चेहरों के माध्यम से मानवीय भावनाओं को भावनात्मक रंगों में चित्रित करती हैं। कोलकाता के कलाकार सुभेदु विश्वास ने गौतम बुद्ध के ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिकता का सफल चित्रण किया है। महिला चित्रकार प्रोफेसर मीनाक्षी ठाकुर अमूर्त जल के गुणों से भरपूर नजर आती हैं ।
मांडवी सिंह रहीं समापन की अतिथि
अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का समापन डॉ0 माण्डवी सिंह (पूर्व कुलपति इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एवं वर्तमान कुलपति भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ) ने किया । प्रदर्शनी के उद्घाटन के शुभ अवसर पर लखनऊ के तमाम बुद्धिजीवी ,कला प्रेमी एवं महानुभाव उपस्थित थे एवं शहर के कई जाने-माने कलाकार एवं आर्ट कलेज स्टूडेंट एवं क्षेत्रीय ललित कला अकॅडमी के कई सदस्य उपस्थित रहे ।