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रायपुर । भारत में साक्षरता को लेकर पुरस्कार बटोरने वाले छत्तीसगढ़ में अभी तक तीस फीसद आबादी निरक्षर है। राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय पर चलने वाला राज्य साक्षरता मिशन कार्यक्रम 31 मार्च 2018 से ही बंद हो गया है। पांच महीने के ब्रेक के बाद अभी तक नया कार्यक्रम शुरू नहीं हो सका है। साक्षरता मिशन के अफसरों का कहना है कि केंद्र सरकार पर ही पूरा दारोमदार है। मामला केंद्र से ही अटक गया है। लिहाजा प्रदेश में करीब पांच लाख की आबादी अंगूठा छाप ही रह गई है।
अभी तक इतने हो पाए साक्षर
राज्य सरकार के सरकारी आंकड़ों को मानें तो देश में साक्षर भारत के अग्रणी राज्यों में छत्तीसगढ़ एक है। साल 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में 33 लाख महिला-पुरुष असाक्षर थे। अब तक 29 लाख को नवसाक्षर किया जा चुका है।
इस बार साक्षर भारत कार्यक्रम खत्म होने से न सिर्फ निरक्षरों के पढ़ने-लिखने की आस टूटी है, बल्कि इसमें कार्यरत प्रेरकों, संविदाकर्मियों, जिला समन्वयकों, ब्लॉक समन्वयकों आदि की नौकरी भी जा चुकी है। इन प्रेरकों को साक्षर भारत कार्यक्रम चलाने के लिए दो हजार रुपए हर महीने मिल रहा था। नौकरी छूटने के बाद इनमें भी भारी रोष है।
....तो क्या होगा सरकार के दावे का
साक्षर भारत कार्यक्रम को खत्म करने से पहले सरकार ने दावा किया था कि जल्द ही बेसिक लिटरेसी के लिए कार्यक्रम चलाएंगे। 2022 तक शत-प्रतिशत साक्षरता होगी। गांव ही नहीं शहरों में भी मोबाइल, इंटरनेट, कैशलेस भुगतान और बैंक खातों के संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। लेकिन धरातल पर पांच महीने से हाथ खाली है। गौरतलब है कि राज्य में साल 2009 से अब तक चलाए गए इस अभियान के दौरान करीब 33 लाख लोगों को साक्षर बनाया गया है।
जहां साथ चले थे तीन राज्य ..
छत्तीसगढ़ राज्य गठन में छत्तीसगढ़ 26वां , उत्तराखंड 27वां और झारखंड 28वां राज्य बना है। तीनों राज्यों में साक्षरता की तुलना करें तो उत्तराखंड आगे हैं। दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है।