ख़ैरागढ़. जनपद पंचायत सांसद प्रतिनिधि भागवत शरण सिंह ने बिजली विभाग में स्थाई व अस्थाई कनेक्शन के नाम पर किसानों की राशि के बंदरबांट का आरोप लगाया है। सांसद प्रतिनिधि भागवत ने कहा कि अस्थाई कनेक्शन के नाम पर किसानों से छल किया जा रहा है। न केवल जान बुझकर किसानों को भटकाया जा रहा है। बल्कि किसानों की मज़बूरी का फायदा उठाकर इसमें हेरफेर किया जा रहा है। दरअसल,सीएसपीसीएल ख़ैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 2627 किसानों के आवेदन बीते डेढ़ सालों से विभाग में स्थाई कनेक्शन के लिए पेंडिंग हैं। जिन्हें स्थाई कनेक्शन के लिए बजट के आने का इंतज़ार करने कहा गया है। अब नए कृषि सत्र में ऐसे तमाम किसानों को पुनः अस्थाई कनेक्शन के लिए आवेदन करने कहा गया है। परंतु आवेदन के बावजूद ऐसे किसानों को पूर्व ट्रांसफ़र से कनेक्शन न देकर,दूसरे ट्रांसफार्मर से कनेक्शन देने की बात कहकर अतिरिक्त राशि केबल आदि के नाम से लिया जा रहा है। साथ जिस ट्रांसफार्मर में से किसान को दूसरे ट्रांसफार्मर में शिफ्ट किया जा रहा है। उस ट्रांसफार्मर में नया कनेक्शन दिया जा रहा है। और अस्थाई कनेक्शन के इस खेल में नए कनेक्शनों के एवज में अधिकारी चांदी काट रहे हैं।

इन सवालों का नहीं बिजली विभाग के पास जवाब
साँसद प्रतिनिधि भागवत शरण ने सवाल उठाते हुए कहा कि पहले तो बिना बजट की व्यवस्था किए किसानों से डेढ़ साल से डिमांड राशि जमा क्यों कराई गई है ? जबकि यह कार्य बजट में प्रावधान के बाद किया जा सकता था। दूसरे स्थाई कनेक्शन के लिए आवेदन कर किसानों को लोड का हवाला देकर जान बूझकर क्यों शिफ्ट किया जा रहा है ? तीसरे जब विभाग के पास वर्तमान में ही स्थाई कनेक्शन के ढाई हजार से ज्यादा मामले हैं। तो नए अस्थाई कनेक्शन देकर किसानों को जबरन भटकाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है।

पूर्व सामने आ चुके हैं मामले
सांसद प्रतिनिधि भागवत शरण ने कहा कि बिजली विभाग में गड़बड़ियों की कहानी नई नहीं हैं। बल्कि इससे पहले भी ऑनलाइन एंट्रियो को चेक करने पर आवेदन से पहले टेम्पररी कनेक्शन के लिए रजिस्ट्रेशन जारी करने का मामला सामने आ चुका है। जिसमें तत्कालीन अवधि में कुछ एई स्तर के अधिकारी नप भी चुके हैं।

दोहरी मार झेल रहे किसान
भागवत शरण ने कहा कि पहले से स्थाई कनेक्शन के लिए इंतज़ार कर रहे किसानों पर अस्थाई कनेक्शन का बोझ तो है ही। अब अस्थाई कनेक्शन के किसी अन्य ट्रांसफार्मर में स्थानांतरण के अतिरिक्त खर्च का भार किसानों को वहन करना पड़ रहा है।