रूसा के तहत मिले 20 करोड़ में हेर फेर का अंदेशा
ख़ैरागढ़. संगीत विवि में रूसा के तहत हुए कामों में भ्रष्टाचार की शिकायत पर कलेक्टर ने जांच समिति गठित की है। कुलपति ममता चंद्राकर की शिकायत पर जांच के आदेश दिए गए है। मामला बीते कार्यकाल का है। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बीते कार्यकाल के दौरान लगभग 20 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की घोषणा विवि के लिए की थी। जिसमें लगभग 12 करोड़ रुपयों में निर्माण कार्य होना था और शेष रुपयों से रिपेयर वर्क होना था। कुलपति ने शिकायत में रिपेयर वर्क में ही करोड़ों के भ्रष्टाचार का अंदेशा जताया है। एशिया के सबसे बड़े कला-संगीत संस्थान के रूप में विख्यात इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में भ्रष्टाचार का मामला नया नहीं है। तत्कालीन अवधि में यू पी जल निगम के माध्यम से भी लाखों की गड़बड़ियों को अंजाम दिया गया था।
पीडब्लूडी के 4 अफसरों की बनाई गई टीम
दरअसल, पिछले कुछ सालों के दौरान की गई तमाम अनियमितताओं का यहां पर अब परत दर परत खुलासा होने जा रहा है। इसी कड़ी में एक ताजा मामला सामने आया है, जिसमें कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी के चार अफसरों की एक टीम बनाई है और विश्वविद्यालय परिसर में किए गए निर्माण कार्यों के अनियमितताओं की जांच करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि रूसा योजना के तहत विश्वविद्यालय में पिछले कुछ सालों के दौरान करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य कराए गए हैं। उन निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के अलावा निर्माण में लेटलतीफी तथा अन्य वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें रही हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने जांच तय किया है। जानकारी मिली है कि कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी के चार कार्यपालन अभियंता स्तर के अधिकारियों की एक टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए हैं।
अनियमितता में शामिल अधिकारी कर रहे मामलों को दबाने का प्रयास
पिछले कुछ सालों के दौरान की गई तमाम अनियमितताओं को दबाने के प्रयास भी यहां पर शुरू हो गए हैं। अनियमितताओं में शामिल विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी इस मामले को दबाने के लिए अन्य मुद्दों पर विरोध की राजनीति कर रहे हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय में तनाव की स्थिति भी निर्मित हो रही है। विश्वविद्यालय के सूत्रों की मानें तो जब से कुलपति बदली है, तब से यहां जारी कई खामियों पर लगाम कसा जा रहा है। उन कार्यों में विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भी लिप्तता रही है। कार्रवाई की आंच से बचने के लिए ऐसे कर्मचारी और अधिकारी अब कई हथकंडे अपना रहे हैं।
कर्मचारियों के हित मे लिया गया फैसला
पिछले दिनों शीघ्रलेखक कैडर को पदोन्नति देने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जो सकारात्मक संशोधन किया था, उस पर भी विरोध किया जा रहा था, जबकि परिनियम 14 में संशोधन भी कर्मचारी वर्ग की मांग पर, कर्मचारियों के हित में उठाया गया कदम है। बहरहाल, तमाम तिकड़मों के बावजूद प्रशासन ने खैरागढ़ विश्वविद्यालय के भीतर की गई तमाम गड़बड़ियों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
इस तरह से की गई गड़बड़ी
00 आधी छत ढाली गई,आधी छोड़ दी गई
00 रिपेयर वर्क पूरा नहीं किया लेकिन राशि निकाली गई
00 ग्रेनाइट लगाई नहीं गई पर राशि निकाली गई
00 पुराने भवन रिपेयर में सामान लगाने के नाम पर राशि निकाली गई।