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उड़ीसा : राज्य के नयागढ़ जिले में महानदी में डूबा हुआ एक प्राचीन मंदिर दिखने लगा है फिर से इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज की पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को ढूंढ निकाला है। मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर की ऊंचाई 60 फीट है और लगभग 500 साल पुरानी यह मंदिर बताई जा रही है।उड़ीसा के बैदेश्वर के पास पद्मावती गांव में आखिरकार यह तलाश समाप्त हो गई मंदिर साफ साफ दिखाई देने लगा है।
प्रोजेक्ट के असिस्टेंट दीपक कुमार नायक इसे कई बार ढूंढने का प्रयास कर चुके हैं उन्होंने बताया कि इस काम में स्थानीय हेरिटेज प्रेमी रविंद्र राणा ने पूरी पूरी मदद की।
प्रोजेक्ट अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल में पानी के बदलते स्तर की वजह से यह चार-पांच दिन के लिए देखा गया था क्योंकि मंदिर का मस्तक बरसों पहले गर्मियों के समय में दिख जाता था लेकिन पिछले कई साल से यह पानी नहीं दबा हुआ था।
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प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर ने "इंडिया टुडे" से बात की :
“हम महानदी के स्मारकों को डॉक्यूमेंट करते रहे हैं महानदी के उद्गम से लेकर उसके समुद्र से मिलने तक दोनों किनारों पर पांच किमी की रेडियस में, जहां विरासत पानी के नीचे डूबी हुई है लोग पहले से जानते थे कि इसके नीचे एक मंदिर है, लेकिन पिछले 25 साल से यह पानी के ऊपर दिखाई नहीं दे रहा था”
क्या कहती है प्रशासन :
"नयागढ़ के सब कलेक्टर लग्नगीत ने बताया कि उन्होंने गांव वालों को मंदिर को देखने के लिए नदी में जाने के लिए मना किया है।"
जानिए इतिहास :
मंदिर के मस्तक के डिजाइन और निर्माण में इस्तेमाल हुए पदार्थ पर गौर किया गया। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ दीपक कुमार नायक ने बताया कि जिस स्थान पर यह मंदिर मिला है। मान्यता के हिसाब से सतपतना माना जाता है। सतपतना अर्थात 7 गांव का समूह पद्मावती का समूह का हिस्सा था पर तकरीबन 150 साल पहले बाढ़ और पूरा गांव डूब गयाा। पद्मावती गांव के लोगों का कहना है कि इस नदी में 22 मंदिर और जगह दबे हुए हैं लेकिन केवल गोपीनाथ देव मंदिर का मस्तक कुछ साल से देख रहा था क्योंकि वह सबसे ऊंचा था।
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