जगदलपुर। हिंदी सिनेमा के उभरते हुए अभिनेता गणेश कुमार ने "बस्तर टॉक" वेबिनार के माध्यम से बातचीत करते कहा कि सिनेमा का एक नया दौर शुरू हो गया है।अब कहानियां गांव से निकलकर सिनेमा के पर्दे तक से फिर पहुंच रही है। अब विशाल माध्यम मोबाइल का स्क्रीन भी हो गया है।जीवन के द्वंद को व्यक्ति जब अपने सिनेमाई पर्दे पर खोजता है तो वहीं से कहानियों को आकार मिलने लगता है। उन्होंने कहा कि फिल्मों का हमेशा आधार हमेशा गांव रहा है। फिल्म दो बीघा जमीन हो या गांवों केन्द्रीत अन्य कहानियां जो अपनों के बीच से निकलकर आई है।
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अभिनेता गणेश कुमार ने कहा कि बस्तर की जिंदगियों में बेहतर कहानियां है। जिसे दर्शकों ने बेहद सहारा है। वह हॉलीवुड की फिल्म "टाइगर ब्याय चंदूरू" की कहानी हो या नक्सलवाद पर केंद्रित फिल्म न्यूटन हो। साथ ही अभी हाल में प्रदर्शित मलयालम फिल्म ऊन्डा हो।जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया है।यहां फिल्मों के लिए बेहतर अवसर है और यही वजह है कि आज सिनेमा गांव की ओर है। गांवों में बेहतर कहानियां है।उन्होंने कहा कि बस्तर के लोक जीवन पर काम करने का अवसर मिलेगा तो जरूर करेंगे।
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भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे से अभिनय की शिक्षा ले चुके गणेश कुमार का कहना है कि फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सपना देखने वाले लोगों को बेहतर प्रशिक्षण के लिए एफटीआईआई की प्रवेश परीक्षा जरूर देनी चाहिए।यह सिनेमा का यूपीएससी है। जॉनी एलएलबी टू, सुपर 30 सहित कई ऐड फिल्मों व वेब सीरीज में काम कर चुके गणेश कुमार इन दिनों पाताल लोक वेब सिरीज़ में अभिनय की वजह से चर्चा में है। वेबीनार में डॉ परवीन अख्तर, डॉ आशुतोष मंडावी सहित तमाम लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन वर्षा मेहर ने किया व तकनीकी सहयोग अतुल प्रधान का रहा।
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