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राजाओं की बसाई इस नगरी में उन्हीं के नाम वाले घाट की परवाह करने वाला कोई नहीं। गंजीपारा वार्ड से लगे राजा घाट के किनारे बेशरम के फूल पनप रहे हैं। नदी के गंदे पानी में शैवाल तैर रहे हैं और सीढ़ियों पर काई जम गई है। वार्डवासियों ने बताया कि काई की वजह से एक-दो बुजुर्ग फिसल कर गिरे तो बाकी लोगों ने आना ही छोड़ दिया। ज्यादातर लोग हैंडपंप से बाल्टी में पानी ले जाकर घरों में ही नहाने लगे हैं।
नियाव@ खैरागढ़
नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार शहर के विभिन्न वार्डों में तकरीबन 17 घाट हैं, लेकिन इनकी सफाई भगवान भरोसे छोड़ दी गई है। इसी वजह से घाटों में गंदगी पसरी हुई है। वार्डवासी बल्ला यादव ने बताया कि गंजीपारा के ज्यादातर लोग राजा घाट का उपयोग किया करते थे, लेकिन सीढ़ियों पर काई जमने के कारण लोगों ने आना छोड़ दिया। ऊपर घाट (पावर हाउस) में तो पानी ही नहीं है। राजा घाट में लालपुर एनीकट की वजह से पानी भरा हुआ है, लेकिन गंदगी के कारण इसका उपयोग नहीं कर पा रहे। इसमें नहाने से खुजली होती है।
सात दिन पहले आया था पालिका का अमला / वार्डवासियों ने बताया कि सात दिन पहले ही नगर पालिका का सफाई अमला राजा घाट पहुंचा था। मशीन से शैवाल निकाले गए, लेकिन हालत जस की तस हो गई। इसकी सफाई को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है, जिसके कारण गंदगी से छुटकारा नहीं मिल पा रहा।
इन दो उदाहरणों से जानिए शहर के बाकि घाटों की हालत
केस-1: ऊपर घाट में गंदगी के बीच नहाता दिखा युवक / दोपहर 2 बजकर 10 मिनट। गंजीपारा वार्ड के ऊपर घाट (पाॅवर हाउस) में पानी काफी कम है। सतह पर हरी परत चढ़ चुकी है। नदी का किनारा कीचड़ से लथपथ है। टूटे-फूटे बांध से थोड़ा-थोड़ा पानी बहकर नदी में जा रहा है। इसी पानी से एक युवक नहा रहा है।
केस-2: घाट के आसपास डिस्पोजल गिलास का ढेर / दोपहर तकरीबन 1 बजकर 40 मिनट। अमलीपारा पुल के पास वाले घाट पर गंदगी पसरी हुई है। आसपास डिस्पोजल गिलास का ढेर लगा हुआ है। पास की खड़े वार्डवासी ने बताया कि शाम को पुल के नीचे शराबियों की जमघट लगती है। पीने-खाने के बाद वे सारा कचरा घाट में फेंक देते हैं।
इतिहास के पन्नाें से: तीनों नदियों के बीच राजा खड्गराय ने बसाया था खड्गगढ़
ऐतिहासिक पुस्तक नागवंश में नदियों का विशेष उल्लेख है। इसमें लिखा है कि 1812 में राजा खड्गराय ने पिपरिया, मुस्का और आमनेर नदी के बीच एक दुर्ग बनाकर अपने नाम से इस नगर को बसाया था। पहले इसे खड्गगढ़ कहते थे। खैर वृक्षों की अधिकता के कारण इसे खैरगढ़ भी कहने लगे। यह नगर दुर्जयगढ़ के भीतर था। इसके चारों तरफ चार विशाल दरवाजे बनाए गए थे। किले के चारों ओर उतुंग बुर्ज (ऊंचे गुंबद) बनाए गए थे।
समय-समय पर होती है सफाई / स्वच्छता निरीक्षक कमल नारायण जंघेल ने बताया कि नगर के तमाम घाटों की सफाई समय-समय पर की जाती है। खासतौर पर दाऊचौरा, लालपुर, मांगरा आदि घाटों की सफाई नियमित होती है। राजा घाट की सफाई कराई जाएगी।
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