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छत्तीसगढ़ में ‘डर’ के आगे जारी है महिला क्रिकेट

पैसों की कमी के बीच क्रिकेट खेलने की कहानियां आम हैं, लेकिन गांवों की लड़कियां पुरानी सोच के अलावा जंगली हाथियों और नक्सली हमलों के खौफ के बावजूद क्रिकेट खेले तो दाद देनी पड़ेगी। सेंट्रल जोन सीनियर विमिंस वनडे टूर्नमेंट के लिए कानपुर आईं छत्तीसगढ़ की कुछ प्लेयर्स ऐसे ही हालात से जूझ रही हैं। उनका सपना नैशनल टीम में खेलना है और आइडल हैं मिताली राज।

बैलेंस तो बनाना होगा
झारखंड बॉर्डर से सटे जसपुर (फूलपुरी) गांव की प्रांशु प्रिया के पिता किसान हैं। 20 साल की प्रांशु को पिता ने सपोर्ट किया तो स्कूल-कॉलेज के बाद यूनिवर्सिटी लेवल पर क्रिकेट खेला। वह फुटबॉल की भी स्टेट लेवल प्लेयर हैं। ऑलराउंडर प्रांशु कहती हैं, ‘गांव में खेलने का बढ़िया माहौल है, लेकिन चीजें बहुत आसान भी नहीं हैं। अक्सर जंगली हाथी फसलें उजाड़ देते हैं। कई बार थोड़ी दूर पर नक्सली हमलों के बारे में पता चलती हैं, लेकिन इनकी आदत है। क्रिकेट खेलने में मजा आता है। आगे बढ़ने के लिए बैलेंस बनाना होगा।’
फर्क नहीं पड़ता
तखतपुर (बिलासपुर) की माहेश्वरी कश्यप (20) के पिता भी किसान हैं। मां सिर्फ पांचवीं तक पढ़ी हैं। परिवार में 3 बड़ी और एक छोटी बहन है, लेकिन क्रिकेट का जुनून सिर चढ़कर बोलता है। वह कहती हैं, ‘क्रिकेट में ही करियर बनाना है। फैमिली ने कभी क्रिकेट खेलने पर रोक नहीं लगाई, लेकिन लोग पीठ पीछे जरूरत कहते हैं कि लड़की क्रिकेट क्यों खेलती है। ऑलराउंडर माहेश्वरी ने 2010 में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। वह कहती हैं, घर पर रोज 1-2 बार बात होती है। लेकिन मुझे जहां तक जाना है, जाऊंगी।’

लड़ना तो होगा
मुंगेली डिस्ट्रिक्ट की दुर्गेश नंदिनी सिर्फ 15 साल की हैं। उनके पैरंट्स भी खेती करते हैं। 2 महीने पहले वह कोच जलेस यादव के पास पहुंचीं। कुदरती प्रतिभा देखकर जलेस ने इस लेफ्ट आर्म सीमर को मेहनत करने की सलाह दी। 10वीं क्लास की स्टूडेंट नंदिनी कहती हैं, ‘लड़कियों के लिए दिक्कतें तो हैं, लेकिन लड़ना होगा। मेरे टीचर्स पढ़ाई में सहयोग देते हैं। मैं रूम में पढ़ाई करती हूं। आगे क्रिकेट में करियर बनाऊंगी।’

एक प्लेट में करते लंच-डिनर
कोच अमरजीत सिंह कलसी के मुताबिक, ‘4 साल से छत्तीसगढ़ में विमिंस क्रिकेट बंद था। अब नई टीम बनी है। यहां से कभी नैशनल लेवल के क्रिकेटर नहीं निकले। 2-3 लड़कियों को एक प्लेट में लंच-डिनर करने और ग्रुप में रहने को कहा जाता है। इससे बॉन्डिंग मजबूत होगी और टीम भी।’

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Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:18

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