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पिता ने कभी बैट नहीं पकड़ा, लेकिन दोनों बेटियों को बनाया क्रिकेटर, आज दिखा रहीं दमदार खेल

रायपुर। आपको आमिर खान की फिल्म 'दंगल" याद होगी, जिसमें महावीर फोगाट खुद मेडल नहीं ला पाए, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को कुश्ती के ऊंचे मुकाम तक पहुंचा दिया। छत्तीसगढ़ के प्रेम पांडेय की कहानी कुछ इस फिल्म से मिलती-जुलती है। वहां कुश्ती थी तो यहां क्रिकेट है।

प्रेम ने कभी क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन भाई क्रिकेटर बनाना चाहते थे। जब घरवालों ने इस पर सहमति नहीं दी तो वे निराश हो गए, लेकिन मन में यह सपना जिंदा था। आज उनकी बेटियां उनके इस सपने को साकार कर रही हैं। नतीजा शुक्रवार को छत्तीसगढ़ बनाम जम्मू कश्मीर के मैच सामने आया, जब प्रेम की बेटियां शिवी और यशी ने विरोधी टीम के छक्के छुड़ा दिए।

बिलासपुर के रहने वाले प्रेम पांडेय प्राचार्य हैं और क्रिकेट के बड़े फैन हैं। उन्होंने खुद कभी बल्ला नहीं पकड़ा, लेकिन शिवी और यशी को क्रिकेट की बारीकियां सिखाईं। वे दोनों बेटियों को घर में ही साइंसटिफिक तरीके से कोचिंग दे रहे हैं। पहले दोनों ने स्कूल लेवल पर जमकर गेंदबाजों की धुलाई की। उसके बाद बड़े लेवल के टूर्नामेंट खेलना 2012 से शुरू किया। दोनों ऑलराउंडर हैं।

दोनों सीनियर वुमन टीम में

छत्तीसगढ़ की सीनियर वुमेंस क्रिकेट टीम में शिवी पांडेय और यशी पांडेय दोनों बहनें खेल रही हैं। बीसीसीआई द्वारा 6 से 14 दिसंबर तक आयोजित सीनियर वुमन्स लीग क्रिकेट टूर्नामेंट में दोनों खेल रही हैं। पहले मैच में गोआ के खिलाफ भी यशी ने सर्वाधिक 36 रन बनाए थे। यह मैच छत्तीसगढ़ टीम हार गई। लेकिन 8 दिसंबर शुक्रवार को खेले गए मैच में यशी ने शानदार ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और महज 75 गेंदों पर 82 रन बनाए। वहीं शिवी ने 26 रन की पारी खेली। शिवी टीम की ओर से ओपनिंग करती हैं।

इससे पहले मध्यप्रदेश टीम में

दोनों बहनें पहले 2013-14 और 2014-15 में मध्यप्रदेश की टीम से खेलती थीं। इसके बाद जब छत्तीसगढ़ को पूर्ण बीसीसीआई से मान्यता मिल गई। उसके बाद 2016 से यहां के लिए खेल रही हैं। शिवी इसमें बड़ी बहन हैं। दोनों बहनों के बीच में महज 18 महीने का अंतर है।

पिता प्रेम पांडेय ने घर में बनाया क्रिकेट का माहौल

प्रेम पांडेय ने बताया कि पहले वे चाहते थे कि उनकी बेटियां टेनिस खेलें, लेकिन अच्छे कोच नहीं मिलने से उन्होंने ठाना कि अब बेटियों को क्रिकेटर बनाएंगे। जब दोनों बेटियां 7 और 8 साल की थीं तो उन्होंने पहले उन्हें प्लास्टिक बॉल से खेलना सिखाया। उसके बाद टेनिस और फिर लेदर बॉल से खेलना सिखाया। प्रेम ने बताया कि पहले वे अपने भाई को क्रिकेटर बनाना चाहते थे, लेकिन घर वालों ने कहा पढ़ाई जरूरी है और उनका सपना टूट गया। उन्होंने ठान लिया था कि वे घर में बेटा हो या फिर बेटी, उसे क्रिकेटर बनाएंगे। दोनों बेटियों को सिखा रहे, वहीं छोटा बेटा जो अंडर-14 में बिलासपुर जिले से खेल रहा है।

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Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:18

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