छुईखदान. क्या मुक्तिधाम में सब्जियां उगाई जा सकती हैं। आश्चर्य हो रहा है न, एक साल पहले नगर में जय जगन्नाथ सेवा समिति ने अस्तित्व में आते ही नगर के बड़े तालाब मुक्तिधाम का लक्ष्य रखा। संसाधन जुटाए। और फिर रोज़ाना श्रमदान का लक्ष्य लेकर आगे बढ़े। बारिश में पौधे लगाए। फल और सब्जियां लगाई गई। जिस मुक्तिधाम में कोई आम दिनों में कदम नहीं रखता था। वहाँ अब हर उम्र का व्यक्ति किसी भी समय बेधड़क जाता है। बुज़ुर्ग चहल कदमी करते हैं,युवा चर्चा में रहते हैं। परिसर में सिर्फ फल और सब्जियां नहीं हैं बल्कि फूलों के पौधे भी हैं। और इसी मुक्तिधाम के पौधों से निकले फूल भगवान के मंदिरों में भी चढ़ते हैं। अब सब्जियां निकल रही हैं। बुधवार को पहली बार केले और कुम्हड़े के फल निकले तो उन्हें समिति के सदस्यों को ही दे दिया गया। समिति ने सुनसान पड़े मुक्तिधाम को सुरम्य वातावरण से गुलज़ार कर दिया।
कोरोना काल में खुद को झोंका
सेवा समिति की पूरी टीम ने सेवा की ऐसी अलख छुईखदान में जगाई कि हर उम्र का व्यक्ति सेवा का भागीदार बना। कोरोना काल में मरीजों को अस्पतालों तक शिफ्ट कराने से लेकर दवाइयों की व्यवस्था,निशुल्क भाप मशीन वितरण,ऑक्सीजन की व्यवस्था तक समिति के सदस्यों ने की।
लॉक डाउन में दौरान भोजन की व्यवस्था भी
लॉक डाउन लगा तो टीम ने दोगुनी ताक़त के साथ काम किया। जो भूखे थे उन्हें गर्म भोजन उपलब्ध कराया। रोज़ाना बकायदा भोजन के पैकेट बांटे गए। जिसमें रसद की व्यवस्था से लेकर उसे बनाने और वितरण करने तक की जवाबदारी समिति के सदस्यों ने निभाई।
मंदिरों में लगाए औषधीय पौधे
समिति ने मुक्तिधाम में जहां फल और छायादार पौधे रोपे तो मंदिरों में औषधीय पौधे लगाए। और फूलों के पौधों को जगह दी है। अब इन औषधियों का उपयोग नगर के लोग कर रहे हैं । औषधियों को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
मंदिरों का किया जीर्णोद्धार
नगर में धर्ममय वातावरण बनाने में भी समिति की भागीदारी अग्रणी रही। पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया। राशि आपसी सहयोग से खर्च की गई। ऐतिहासिक महत्व के मंदिरों को उसी महत्ता के अनुसार जिर्णोधारित किया गया।
मुक्तिधाम में जन सहयोग से हुए काम
- पाथ वे का निर्माण
- चबूतरों का निर्माण
- हाल का जीर्णोद्धार
- क्यारी का निर्माण
- मुक्तिधाम परिसर का रंगरोगन
सर्वजन हिताय के लक्ष्य के साथ बढ़ रहे आगे - संजीव
-- समिति के प्रमुख संजीव दुबे ने बताया कि सर्व जन हिताय के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। कुछ भी अव्यवस्थित है उसे श्रमदान और आपसी सहयोग से व्यवस्थित करने का प्रयास करते हैं। सभी का सहयोग मिल रहा है। आगे भी काफी कुछ किये जाने की कार्ययोजना है।