The RAGNEETI is periodical magazine and the news portal of central India with the political tone and the noise of issues. Everything is in this RAGNEETI. info@ragneeti.co.in
Owner/Director : Bhagwat Sharan Singh
Office Address : New Bus Stand, Shiv Mandir Road, Khairagarh. C.G
रायपुर : कोरोना लॉकडाउन के चलते देशभर में फंसे छत्तीसगढ़िया मजदूरों को लाने के लिए सरकारी कवायद जारी है। इससे पहले कोटा में फंसे छात्रों के लिए भारी मशक्कत की गई थी, लेकिन इस जद्दोजहद के बीच सरकारी महकमा उन छात्रों को भूल चुका है, जो नई दिल्ली के ट्राइबल यूथ हॉस्टल में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से पहुंचे ऐसे 31 छात्र हैं, जो खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने संबंधित विभाग से पत्र व्यवहार भी किया, लेकिन उन्हें उचित जवाब नहीं दिया गया।
यह भी पढ़ें :पूर्व सीएम के ओएसडी की दूसरी पत्नी व जगदलपुर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गिरफ्तार
छात्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा युवा कॅरियर निर्माण योजना के तहत सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए उनका चयन हुआ है। उनकी कोचिंग से लेकर खाने-पीने का सारा खर्च सरकार ही वहन करती है, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण तीन माह से स्कॉलरशिप नहीं भेजी गई है। इधर कोविड-19 महामारी के संक्रमण से संपूर्ण राजधानी क्षेत्र कंटेनमेंट जोन में तब्दील हो चुका है। यहां संक्रमण दर और मृत्यु दर तेजी से बढ़ता जा रहा है।
यह भी पढ़ें :पाकिस्तान : PIA यात्री विमान कराची हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ, देखिये वीडियो
विगत दिनों छात्रावास परिसर के आसपास के रिहायशी इलाकों में करुणा संदिग्धों की पुष्टि होने से यहां की स्थिति चिंताजनक हो गई है। पिछले माह से लॉक डाउन के कारण कोचिंग सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। भोजन हेतु आवश्यक न्यूनतम साधनों की अनुपलब्धता से खानपान की व्यवस्था भी असुरक्षित और स्वास्थ्य के प्रतिकूल हो गई है। इससे हमारा अध्ययन बाधित हो चुका है। विगत तीन माह से हमारे दैनिक भत्ते की राशि भी हमें उपलब्ध नहीं कराई गई है जिससे हमारे बचत के सारे पैसे खर्च हो चुके हैं, जिसे हम अपने जरूरी सामान भी कार्य करने में असमर्थ हैं। आर्थिक गतिविधि बंद होने से हमारे पालक हमारी मदद नहीं कर पा रहे हैं, जिससे वह हमारी प्रति चिंतित हो चुके हैं। इस दशा में हमें यहां रुकने का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। अतः हम वापस घर लौटना चाहते हैं।
यह भी पढ़ें :3 करोना मरीज डिस्चार्ज हुए, तो 3 मरीज फिर से आ गए, देखिए इन जिलों से मिले कोरोना मरीज
केस-1
सेविंग खत्म हो गई है :
सुकमा जिले के कांटा ब्लॉक में आध्रप्रदेश बार्डर से लगे गांव मुल्लीगुड़ा में रहने वाली छात्रा का कहना है कि उसके पांच भाई-बहन है। सभी की शादी हो चुकी है। वह सबसे छोटी है। पिता किसान हैं। वे ही सारा खर्च उठाते हैं। स्कॉलरशिप की राशि नहीं मिलने की वजह से आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। सेविंग भी खत्म हो चुकी है। आसपास की बिल्डिंगों में कोविड-19 के मामले आ चुके हैं। हम खुद को बिल्कुल भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। सबसे बड़ी बात है कि हमें अपने घर सुरक्षित पहुंचना है।
केस-2
ट्रेन में भी जाने से डर लग रहा है :
सरगुजा सीतापुर के पेटला ग्राम पंचायत का रहने वाला छात्र कहता है कि कोविड-19 के इतने मामले आ चुके हैं कि दिल्ली में बाहर निकलने से डर लगता है। हॉस्टल में तकरीबन 42 लोग थे। इसमें से 11 छत्तीसगढ़ लौट चुके हैं। छात्र ने बताया कि उसके पांच भाई-बहन हैं। उनमें से कुछ अंबिकापुर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कॉलरशिप नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। विभाग को पत्र लिख चुके हैं। इसके बावजूद कोई रिस्पांस नहीं मिला। हमारी कोई सुध नहीं ले रहा है।
कमाल आर खान ने दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर और इरफ़ान पर दिया विवादित बयान, FIR दर्ज
बस की व्यवस्था हो तो अच्छा है :
छात्रों का कहना है कि विशेष ट्रेनों में हाल ही में कोरोना संक्रमण की घटनाएं सामने आ रही हैं। अतः ऐसी असुरक्षित और असावधानी के माहौल में ट्रेन में यात्रा करना जोखिम भरा निर्णय होगा। हम में से आर्थिक रूप से सक्षम कुछ छात्रों द्वारा मुश्किल से टिकट बुक कराई गई, किंतु संक्रमण की आशंका और परिजनों की चिंता करने के कारण वे टिकट अभी रद्द करानी पड़ी हम सभी छात्र छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से लेकर सुकमा तक के दूरस्थ विभिन्न जिलों से हैं, जिसकी सुरक्षित जिले तक पहुंच विशेष ट्रेनों से नहीं हो पाएगी। अतः उक्त दशाओं को ध्यान में रखते हुए हम छत्तीसगढ़ शासन से यह मांग करते हैं कि हमारी सुरक्षित घर वापसी के लिए यथा शीघ्र दो बसें द्वारका नई दिल्ली भेज दी जाएं।
आयुक्त ने नहीं दिया जवाब :
छात्रों का कहना है कि वे इस संदर्भ में हम छत्तीसगढ़ शासन का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि हमारे द्वारा 8 मई को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के आयुक्त सचिव संचालक और योजना प्रभारी आयुक्त महोदय को पत्राचार किया गया है, जिसमें यहां के गंभीर हालात से अवगत कराया गया था। इस मामले में विभाग के उच्चाधिकारियों से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वर्तमान दशा में महामारी रौद्र रूप धारण करता जा रहा है, जिस कारण हम शारीरिक और मानसिक तौर पर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इस दशा में विभागीय उच्चाधिकारियों की उदासीनता घातक हो सकती है।
अम्फान की वजह से पश्चिम बंगाल में 72 मौतें, PM मोदी आज पश्चिम बंगाल के दौरे पर
रागनीति के ताजा अपडेट के लिए फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्वीटर पर हमें फालो करें।