×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

High Court का बड़ा फैसला, बिहारियों को झारखंड में नहीं मिलेगा आरक्षण

आरक्षण पर झारखंड हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। फैसले में यह कहा गया कि बिहारियों को झारखंड प्रदेश में किसी प्रकार का कोई आरक्षण नहीं मिलेगा।

उच्‍च न्‍यायालय के लार्जर बेंच के दो जजों ने इस संबंध में सोमवार को अपना फैसला सुनाया। यह व्‍यवस्‍था बिहार के सभी मूल निवासियों पर लागू होगी। हालांकि फैसला सुनाने वाले हाई कोर्ट के इस लार्जर बेंच के एक जज का आदेश इन दोनों जजों से अलग था।

बिहार के रहने वाले रंजीत कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर झारखंड पुलिस बहाली में आरक्षण का लाभ मांगा था। बीते साल अक्‍टूबर में इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि बिहारियों को झारखंड में आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा।

स्थाई बिहारियों को झारखंड राज्य के नौकरी में किसी भी प्रकार के आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने बहुमत से अपना फैसला सुनाया है। हालांकि एक जज इससे असहमत हैैं। दरअसल, हाई कोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र, जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की लार्जर बेंच ने इस मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। सबसे पहले जस्टिस एचसी मिश्र ने आदेश पढ़कर सुनाया।

उन्होंने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थी एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड क्षेत्र में रह रहा है, इसलिए उनसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। यह कहते हुए उन्होंने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और प्रार्थियों को नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया।

इसके बाद जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने अपना आदेश पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीर सिंह के मामले में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एक राज्य का निवासी दूसरे राज्य में आरक्षण का हकदार नहीं होगा। यही आदेश जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति का भी था। इसके बाद दोनों जजों ने प्रार्थियों की अपील को खारिज करते हुए सरकार के पक्ष को सही माना।  

यह था पूरा मामला 

झारखंड में सिपाही की बहाली हुई थी। इस दौरान बिहार के स्थाई निवासियों ने आरक्षण का लाभ लिया था। बाद में मामला उजागर होने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद पंकज कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। एकलपीठ ने सरकार के फैसले खारिज करते हुए उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया। इसके बाद सरकार ने खंडपीठ में अपील दाखिल की थी। वहीं, रंजीत कुमार सहित सात अभ्यर्थियों ने पुलिस में बहाली आरक्षण का लाभ नहीं मिलने पर हाई कोर्ट की शरण ली थी। एकलपीठ ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी थी। इन्होंने भी खंडपीठ में अपील दाखिल की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए खंडपीठ ने सभी मामलों को एक साथ टैग करते हुए 9 अगस्त 2018 को लार्जर बेंच में भेजने की अनुशंसा की थी। इसके बाद लार्जर बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

बिहारियों में आक्रोश 

हाई कोर्ट के इस फैसले से बिहारियों में काफी आक्रोश है। बिहार से वर्ष 2000 में अलग होकर बने नए झारखंड राज्‍य में आज भी अधिकतर आबादी बिहारियों की है। ऐसे में हाई कोर्ट के इस फैसले से बड़े पैमाने पर बिहारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड में रहने वाले बिहारियों के लिए उच्‍च अदालत का यह फैसला भारी पड़ेगा।

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Tuesday, 25 February 2020 15:04

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.