सूरत में साल 2018 में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने के मामले में, दोषी के डेथ वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार गुजरात के एक कोर्ट ने इस मामले में 22 साल के युवक को मौत की सजा सुनाई थी।
इस मामले में, उच्च न्यायालय के आदेश के 33 दिन बाद ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ध्यान देने को कहा और डेथ वारंट पर रोक लगा दी। गुजरात उच्च न्यायालय 27 दिसंबर, 2019 को आरोपी को सजा को बरकरार रखा था।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस बीआर. गवई और सूर्यकांत शामिल हैं, जिन्होंने डेथ वारंट पर रोक लगाई है। हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा की पुष्टि करने के बाद इसके खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल करने की अवधि से पहले डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। इसी के बाद कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी।
न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह से चलने की अनुमति नहीं
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार बेंच ने इस दौरान कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि इस संबंध में एक कथित फैसले के बावजूद ट्रायल कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी करने के आदेश कैसे पारित किए जा रहे हैं। किसी को यह समझाना होगा। न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार शीर्ष अदालत ने इस मामले पर नोटिस भी जारी किया। शीर्ष अदालत ने राज्य के वकील से अमरोहा हत्याकांड का हवाला देते हुए कहा कि इसी तरह के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बावजूद इस तरह का आदेश कैसे पारित किया जा सकता है।