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आतंकी हाफिज सईद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सुनवाई के बाद रिहा हो सकता है। समाचार एजेंसी ANI के जानकार सूत्रों के अनुसार हाफिज सईद को गिरफ्तारी के लिए दिए आदेश में जानबूझकर ऐसी कमियां छोड़ दी जिसके कारण वह कभी भी रिहा हो सकता है। इस फैसले के खिलाफ मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के वकील ने कहा है कि वे लाहौर हाईकोर्ट में इस बात को लेकर जाएंगे।
डॉन नामक एक पाकिस्तानी अख़बार के अनुसार सईद के वकील का तर्क है कि सईद को FATF की मीटिंग से पहले इसके दबाव में उसे गिरफ्तार किया गया है। उनके पास सईद को गिरफ्तार करने का कोई और दूसरा कारण नहीं है। डॉन के अनुसार विदेश के अलावा लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा ने अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की है। जमात-उद-दावा के नेतृत्व वाले लश्कर ने अफगान तालिबान और अलकायदा के साथ-साथ पंजाबी तालिबान में विकसित होने वाले तत्वों के साथ संबंध बनाए रखे हैं।
पाकिस्तानी सेना से मिलता है पैसा
आतंकवादी समूहों पर मुकदमा चलाए जाने के बाद भी पाकिस्तान में आतंकवादी नेता और कैडर नियमित रूप से कार्यरत हैं, यह सभी आतंकी सईद के खिलाफ की गई कार्यवाही पर सवाल खड़ा करती है। ANI के अनुसार सूत्रों ने कहा है कि पाकिस्तानी सेना इन सभी आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण देने और धन मुहैया कराती है और भारत तथा अफगानिस्तान के खिलाफ इन संगठनों का इस्तेमाल करती है।
एफएटीएफ की बैठक 16 फरवरी से
16 फरवरी से पेरिस में FATF की बैठक होने वाली है। इस बैठक में यह तय किया जाएगा कि आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहने पर पाकिस्तान को आखिरकार ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए या नहीं। बता दें की जून 2018 में पाकिस्तान सरकार ने कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई। लेकिन अक्टूबर 2019 में इंटर गवर्नमेंटल संगठन की समीक्षा में पाकिस्तान सरकार द्वारा आतंकी वित्तपोषण को दूर करने में कमी का पता चला।