खैरागढ़/गोरखपुर. भारत की दो प्रतिष्ठित अकादमिक संस्थाओं—इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (आईकेएसवी), खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)—ने कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल करते हुए एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी भारतीय कला और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहुंचाने की दिशा में एक नया अध्याय लिखने जा रही है।
इस ऐतिहासिक समझौते पर आईकेएसवी की कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा और डीडीयूजीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन के नेतृत्व में सहमति बनी। दोनों विश्वविद्यालयों ने इस एम.ओ.यू. के माध्यम से प्रदर्शन कला, दृश्य कला, भाषाई एवं सांस्कृतिक अध्ययन, नाट्य, सिनेमा, टेलीविजन, पाठ्यक्रम विकास, अनुसंधान और अंतर्विषयक अध्ययन को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है।
साझेदारी के प्रमुख बिंदु
एम.ओ.यू. के अंतर्गत दोनों संस्थाएं निम्नलिखित क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग करेंगी:
प्रदर्शन एवं दृश्य कलाओं में संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन
छात्रों और शिक्षकों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रम
पाठ्यक्रमों के विकास में वैज्ञानिक और रचनात्मक दृष्टिकोण
नाट्य, फिल्म और टेलीविजन के क्षेत्र में शैक्षिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक एवं भाषाई अध्ययन को बढ़ावा देना
नियमित कार्यशालाएं, सेमिनार और नवाचार परियोजनाएं
उभरते और समावेशी अध्ययन क्षेत्रों का संवर्धन
अनुसंधान और विकास के लिए सहयोगात्मक प्रयास
इस साझेदारी का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच ज्ञान, संसाधन और रचनात्मक विचारों का आदान-प्रदान करना है, जिससे भारतीय कला को न केवल संरक्षित किया जा सके बल्कि उसे वैश्विक पहचान भी दिलाई जा सके।
नेतृत्व का दृष्टिकोण
प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा ने कहा, “यह समझौता भारतीय कला को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त पहल है। हमारे छात्रों और शिक्षकों को इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। यह सांस्कृतिक उन्नति की ओर एक सशक्त कदम है।”
प्रो. पूनम टंडन ने इसे "आधुनिक शिक्षा प्रणाली में पारंपरिक कलाओं के समावेशन का प्रयास" बताया। उन्होंने कहा, “आईकेएसवी के साथ यह साझेदारी हमारे छात्रों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलेगी। जब विरासत और नवाचार एक साथ चलते हैं, तब इतिहास बनता है।”
वैश्विक मंच पर भारतीय कला का पुनरुत्थान
आईकेएसवी, जो संगीत, नृत्य, नाटक, ललित कला और साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है, नैक से मान्यता प्राप्त और ISO 9001:2015 प्रमाणित है। यह संस्थान लगातार भारतीय कलाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के लिए काम कर रहा है। डीडीयूजीयू की भागीदारी इस दिशा में एक ठोस समर्थन है।
एम.ओ.यू. के तहत नए शोध एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत होगी, जिससे न केवल वर्तमान शैक्षिक ढांचे को बल मिलेगा, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए भी भारतीय कला की विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा।
शैक्षिक और सांस्कृतिक विकास की नई दिशा
यह साझेदारी कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक शैक्षिक क्रांति का संकेत देती है। इससे न केवल शैक्षिक गतिविधियों को गति मिलेगी, बल्कि भारतीय भाषाओं, परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकेगा।
दोनों विश्वविद्यालयों का यह कदम कला, संस्कृति और नवाचार के समन्वय से भारत को एक बार फिर विश्व सांस्कृतिक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
भविष्य की ओर प्रेरणादायक कदम
इस साझेदारी के जरिए आने वाले समय में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अनुसंधान परियोजनाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों का विकास होगा। छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक मंच पर कार्य करने के अवसर मिलेंगे, जिससे भारतीय कला का एक नया और समृद्ध युग प्रारंभ होगा।
यह एम.ओ.यू. न केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता है, बल्कि यह भारतीय कला-संस्कृति के गौरव को पुनर्स्थापित करने और भविष्य की पीढ़ियों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का एक दूरदर्शी प्रयास है।