खैरागढ़ 00 सम परिस्थितियों में तो कोई भी आगे बढ़ सकता है, विषम परिस्थितियों में जो सफल होता है वही असली योद्धा है और जो महान है,वो परिस्थितियों सेलड़कर ही महान बनता है. उक्त बातें ड्रीम्स एकेडमी और पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पुलिस एवं सेना भर्ती के लिए तैयारी कर रहे युवाओं के लिएआयोजित निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर में छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईपीएस और जिला केसीजी की पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने अपने आईएएस बनने तकके सफर के अनुभव को लेकर छात्रों से कही. प्रशिक्षण शिविर के विधिवत उद्घाटन पश्चात् पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने पुलिस और सेना में जाने की तैयारी कररहे युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें बड़ा लक्ष्य तय कर उसे पाने में पूरी ताकत लगा देने की नसीहत दी और बताया कि कॉलेज और एमबीए की पढ़ाई करने केबाद मैं यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली गई और वहां तक़रीबन 7 माह रहने के बाद मुझे लगा कि यहां मेरा समय खराब हो रहा हैं और फिर मैं वापस अपने गृहनगर दुर्ग आ गई. उन्होंने बताया यहां आकर मैंने सेल्फ स्टडी शुरू कर दी और तीन प्रयासों के बाद आखिरकार मुझे सफलता मिली. सुश्री शर्मा ने कहा-आपको मैंबताना चाहती हूं कि पुस्तक और सेल्फ स्टडी का मिश्रण ही आपको सफल बनाता है वही इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद छात्रों के किये गये सवालों के जवाब भी दिये.प्रशिक्षण कार्यक्रम में इस अवसर पर एसडीओपी दिनेश सिन्हा,थाना प्रभारी निलेश पांडेय, संस्था के प्रमुख मनोज गीड़िया,प्रधानाचार्य सुश्री राजलक्ष्मीसिंह,संस्था की प्राचार्य गायत्री चौहान, ड्रीम्स एकादमी के संचालक लकेश्वर जंघेल,समाजसेवी समशुल होदा खान, याकूब खान, बैधनाथ वर्मा व हेमलालवर्मा,चंद्रकुमार कश्यप,जी पी कश्यप,लिलेश वर्मा सहित बड़ी संख्या में स्कूली छात्र व ड्रीम्स एकादमी के सदस्य उपस्थित थे।
बताया मां ने कहा था- किरण बेदी बनना है, बस यही जीवन का लक्ष्य बन गया
एसपी अंकिता शर्मा ने कहा- मैं अपने घर में तीन बहनों में सबसे बड़ी हूं और बचपन में मेरी मां हमेशा कहा करती थी कि तुम्हें किरण बेदी बनना है तब मैं किरण बेदीको जानती तक नहीं थी. उन्होंने बताया मैं टॉम बाय की तरह बड़ी हुई हूं, जैसे-जैसे बड़ी हुई किरण बेदी के बारे में मुझे पता चलता गया. उन्होंने कहा अपने आपसहानुभूति देना बंद करें, सपने आपके हैं जिम्मेदारी भी आपकी है. शर्मा ने कहा कि आम तौर पर हम अपनी असफलता के लिए परिस्थितियों को दोष देते हुए खुदको सहानुभूति देना शुरू कर देते हैं जबकि यह गलत है, परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो खुद को सहानुभूति न दे और अपनी कमियों या अपनी हार के लिए दूसरों कोकभी दोषी न ठहराये. उन्होने कहा जब सपने आपके हैं तो जिम्मेदारी भी तो आपकी होनी चाहिये इसलिये खुद जिम्मेदारी ले और खुद को मजबूत बनाये साथ हीअपने-अपने सपने को हासिल करने के लिए आप लोग स्वयं जिम्मेदार बन जायें. ।