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अध्यक्ष विनय कुमार कश्यप जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और अध्यक्ष चंद्र कुमार कश्यप तालुका विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में दिनांक 24.05.2022 को विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जहां पैरालीगल वालंटियर गोलूदास द्वारा ग्राम चांदगढ़ी में उपस्थित सरपंच पंच महिलाओं एवं ग्रामीण जनों को तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितो के लिए विधिक सेवाऐं के बारे में बताते हुए कहा गया कि
इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि वाणिज्यिक यौन शोषण के पीड़ित चाहे वो अवैध व्यापार द्वारा लाए गये हों अथवा स्वैच्छिक यौनकर्मी हों, एक अत्यधिक पिछड़ा समूह है। उनके या तो अधिकार भुला दिये गये हैं या उनके जीवन एवं रहने की दशा से किसी का कोई सम्बन्ध नहीं है या इसमें किसी को कोई रूचि नहीं है कि उनके एवं उनके बच्चों के साथ क्या घटित होता है। उनकी यही दशा उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पाने हेतु अधिकारवान बनाती हैं। उनके अत्यधिक पिछड़े अस्तित्व के कारण वे उन समस्त लाभों हेतु अधिकृत हैं जो समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को उपलब्ध है।
उपलब्ध योजनाएँ-
आई सी डी एस अथवा शिशु देखरेख विकास - 0 - 6 वर्ष, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताएँ (देखरेख प्रदान करने वाले के रूप में)
खाद्य सुरक्षा अथवा राशन कार्ड
वृद्ध महिलाओं हेतु सामाजिक सुरक्षा अथवा पेंशन
दोपहर के भोजन को सम्मिलित करते हुए शैक्षणिक योजनायें, सेतु के विद्यालय, सर्व शिक्षा अभियान के आवासीय विद्यालय, सबाला, नवयुवतियों एवं विनिर्दिष्ट कन्याओं हेतु सामाजिक कल्याण विभाग से प्राथमिक, माघ्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा हेतु छात्रावृतियाँ जीविका-कौशल उन्नयन, वित्तीय समावेश, सूक्ष्म उद्यम-अ.ज./अ.जन./पि.व./अल्पसंखयक एवं महिला विकास निगम से एवं सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से सी एस आरनिधि निर्माण हेतु आवासीय अथवा छूट एवं शहरी विकास से भूमि पट्टा, आवासीय निगम सार्वभौम हकदारियाँ-जनधन, आधार कार्ड, वोटरकार्ड, एस. एच. जी. सदस्यता विधिक सहायता योजनाएँ-विधिक साक्षरता, अर्धविधिक स्वयंसेवी, निःशुल्क विधिक सहायता एवं संरक्षण सुनिश्चित करने हेतु विधिक सहायता क्लीनिक।और साइबर क्राइम पर भी प्रकाश डालते हुए कहा गया कि मनुष्यता के इतिहास के साथ अपराध भी जुड़े रहे हैं।एक सभ्य समाज के साथ-साथ अपराध भी निरंतर बने रहे है। समय और परिस्थितियों के अनुसार अपराधों में भी परिवर्तन होता रहा है। आज वर्तमान समय में साइबर अपराध जैसा शब्द सामने आता है। विश्व के लगभग सभी देशों ने साइबर अपराध से निपटने हेतु कानून बनाए हैं।
प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास के बाद कंप्यूटर से संबंधित अपराधों का जन्म हुआ है जिसे आमतौर पर "साइबर अपराध" कहा जाता है।
इन अपराधों में संचार सेवाओं की चोरी, औद्योगिक जासूसी, साइबर-स्पेस में अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार, इलेक्ट्रॉनिक मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी, इलेक्ट्रॉनिक क्रूरता, आतंकवाद और जबरन वसूली जैसी अवैध कंप्यूटर से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इस ही के साथ इसमे टेली-मार्केटिंग धोखाधड़ी, टेली-संचार का अवैध अवरोधन भी शामिल है।इसलिए राज्य द्वारा दंडनीय है।