7 अक्टूबर को आम मुनादी कर बुलाई गई बैठक
ख़ैरागढ़. श्री राम मंदिर बर्फ़ानी धाम के बाद अब धरमपूरा में मौजूद श्री शनि देव मंदिर में विवाद की छाया पड़ चुकी है। यहां मंदिर के सचिव गणेश राम सिन्हा व मंदिर समिति के बीच बवाल मचा हुआ है। 7 अक्टूबर को आम मुनादी कर मंदिर समिति की बैठक बुलाई गई है। जहां समिति का नव गठन कर पंजीकरण कराने की कार्ययोजना पर विचार किया जाएगा। साथ वर्तमान विवाद का भी रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि इससे पहले रविवार को मंदिर परिसर में आयोजित बैठक में समिति के सचिव गणेश राम सिन्हा ने साफ कर दिया है कि मंदिर के अन्य पदाधिकारी कोई भी परंतु मंदिर के सचिव वे बने रहेंगें।
2004 में हुई थी मंदिर की स्थापना
सिन्हा ने बताया कि शनि मंदिर की स्थापना 19 मई 2004 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने संरक्षण में उन्होंने ही की थी। उनके ही मार्गदर्शन में बाद में समिति का गठन किया गया,जिसमें उन्हें संरक्षक बनाया गया। व रामाधार रजक को अध्यक्ष,उपाध्यक्ष चेतन वर्मा, सचिव गणेशराम सिन्हा और कोषाध्यक्ष नरेश चोपड़ा को बनाया गया। समिति में स्व.बनवाली श्रीवास,स्व.रतन ढीमर व अन्य को शामिल किया गया। गणेश राम ने बताया कि अब रामाधर रजक और नरेश चोपड़ा ट्रस्ट को अपने हिसाब से चला रहे हैं। और उनकी पूछ परख नहीं हो रही है। इसलिए आम लोगों को बुलाकर ट्रस्ट का पुनर्निर्माण होना चाहिए।

कॉम्प्लेक्स को लेकर है विवाद - समिति
इधर समिति के अध्यक्ष रामाधार रजक और सदस्य आलोक श्रीवास ने चर्चा में बताया कि विवाद काम्प्लेक्स को लेकर है। मंदिर समिति ने मंदिर से लगकर 3 व्यवसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण कराया था। जिसमें से एक काम्प्लेक्स गणेश राम सिन्हा को उनके मंदिर के प्रति समर्पण को देखते हुए दिया था। एक कॉम्प्लेक्स पार्षद सोनू ढीमर के पिता और एक अन्य कॉम्प्लेक्स मंदिर में पुजारी फणीश मिश्रा को उसकी आर्थिक दशा को देखते हुए दिया था। पर गणेशराम ने अपने कॉम्प्लेक्स से लगे हुए दुकान को किराए में ले लिया और काम्प्लेक्स की दीवार भी तोड़ दी। अब वो पुजारी की दुकान खाली करवाने पर अड़े हुए हैं। जबकि पुजारी के आर्थिक हालात खराब हैं। और शनिवार को चलने वाला व्यवसाय ही उसकी जीविका का एकमात्र साधन है।
खाते में जमा हैं ढाई लाख
समिति के अध्यक्ष रामाधार रजक और आलोक श्रीवास ने बताया कि समिति में फिलहाल ढाई लाख से ज्यादा राशि खाते में जमा हैं। और 450 से अधिक मनोकामना ज्योत हर वर्ष जलते हैं। मंदिर का संपूर्ण खर्च दान और सहयोग से आने वाली आय से ही चलता है।
अपंजीकृत है समिति
अध्यक्ष रामधार ने बताया कि समिति फिलहाल अपंजीकृत है। और अब अगली बैठक के बाद समिति का ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण किया जाएगा। बीते दिनों मंदिर परिसर में आयोजित बैठके में पंजीकरण कराए जाने पर भी चर्चा हुई है। बैठक में गणेशराम सिन्हा ने मांग की,कि सभी काम्प्लेक्स को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए।