ख़ैरागढ़ 00 गत दिवस असम की राजधानी गुवाहाटी में सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर ओरिन्टेसन कोर्स इन लाईन विथ नेप 2020 के 15 वां दिवस शिक्षक अजय सिंह राजपूत ,शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय दपका, विकासखण्ड खैरागढ जिला के सी जी अपने टीम के साथ छत्तीसगढ़ सांस्कृति कला धरोहर एवं संस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। शिक्षक अजय सिंह ने छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल से संबोधित करते हुए कहा की हम रामायण काल के माता कौशल्या के मायके में रहते हैं वनवास के समय जब राम जी छत्तीसगढ़ में पहुचे तो वनवासी भाचा आगे कहके पैर चरण धोए एवं प्रणाम किया जो परंपरा आज भी चल रही हम भांजा भांजी का चरण स्पर्श कर प्रणाम करते हैं ।के सी जी जिला में स्थित एशिया का एकमात्र इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ की झलकियाँ प्रस्तुत करते हुए कहा की कला तीर्थ में आपका स्वागत हैं जहां ललित कला, संगीत कला, दृश्य कला, पैटिंग, काष्ठ कला, शिल्प कला विभिन्न वादन आर्ट व ड्रामा सभी प्रकार की संगीत शिक्षा प्राप्त करते हैं।
शिक्षक अजय सिंह ने खैरागढ की ऐतिहासिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए राजा बीरेन्द्र बहादूर सिंह व रानी पदमावती देवी सिंह का अमुल्य योगदान व उनकी सुपुत्री राजकुमारी इंदिरा का जिक्र किया ।17 राज्यो से आए टीम को जिला कबीरधाम की भोरमदेव मंदिर की अद्भुत वास्तुकला के विषय में बताया ।अपने टीम के साथ स्वयं तबला व गायन करते हुए पंडवानी व भरथरी लोक गीत की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया ।पी पी टी में छत्तीसगढ़ के व्यंजन ठेठरी ,खुरमी ,चीला, बोरे बासी, अईरसा। नृत्य में ककसार माढिया, पंथी, राऊत नाचा ,करमा ,गौरा गौरी गीत पर नृत्य व झांकी प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया। पूरा सभा जय जोहार संगी के साथ छत्तीसगढिया सबले बढिया के स्वर से गुंज ऊठा। अपने प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ के आदिवासी जनजाति के विभिन्न परंपरा जैसे घोटुल, नृत्य में ककसार माढिया, करमा , पैटिंग में पिथौरा अबूझ मुरिया , गोंड, , बैम्बू आर्ट से लैम्प बनाया,शिल्प कला मे बस्तर घढ़वा लौह रायगढ झारा टैराकोटा, काष्ट कला जैसे जनजाति की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र चित्रकुट जलप्रपात, तीरथगढ जलप्रपात, मैनपाट, राजीवलोचन मंदिर ,दंतेश्वरी मंदिर बस्तर का दशहरा, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान , टुकुमसर गुफा, ढोलकाल गणेश, सिरपूर का लक्ष्मण मंदिर, कांगेर वैली राम वन गमन पथ ।त्यौहार व महोत्सव में में राजिम कुंभ ,तिजा, बिलासपुर के राऊत नाचा, रायगढ के चक्रधर समारोह, भोरमदेव महोत्सव, सिरपूर महोत्सव,राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का प्रमुखता के साथ ज़िक्र किया। इस प्रकार छत्तीसगढ़ दर्शन व राज्य की अद्भुत सांस्कृतिक विरासत को देख सभी शिक्षक शिक्षिका प्रभावित हो गये।