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Tamilnadu के इस शिव मंदिर में 12 दिन तक मनाया जाता है उत्सव, जानिए महाशिवरात्रि की यह विशेष मान्यताएं

महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर पूरे भारत में सभी धार्मिक स्थलों खासकर शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। जगह जगह शोभायात्रा निकलीं गयीं। तथा बाब भोलेनाथ के इस खास पर्व के उपलक्ष्य में जगह जगह भांग तथा प्रशाद भी बंटवाए गए। 

इस तरह तमिलनाडु में मौजूद रामेश्वरम शहर के रामनाथस्वामी मंदिर में  प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर 12 दिनों का उत्सव मनाया जाता है। यह कार्यक्रम महाशिवराात्रि के अवसर पर आयोजित किया जाता है। इस उत्सव के पहले दिन मंदिर में काफी संख्या में शिव भक्त, भक्ति में लीन दिखे। 

महाशिवरात्रि का है विशेष महत्व 

महाशिवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पर्व 21 फरवरी को मनाया गया तो आइए जानते हैं कि क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि।

पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कई कारणों से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसके साथ ही इसके तीन महत्वपूर्ण कारन प्रचलित हैं। 

पहला कारण 

एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे। मान्‍यता है कि शिव जी अग्नि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत। कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली। वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्‍णु जी ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे। 

दूसरा कारण

एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे। हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों  के बारे में जानकारी उपलब्‍ध। इन्‍हें 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जाना जाता है। 

तीसरा कारण 
 
तीसरी मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था। 
 
इन्ही मान्यताओं के कारण महाशिवरात्रि का यह भव्य उत्सव पूरे भारत देश में मनाया जाता है। 
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