ख़ैरागढ़ 00 नवगठित जिले की राजनीति में अब साहू समाज भी बड़ा दांव खेलने के लिए तैयार है। भाजपा में जिलाध्यक्ष के चयन में इसका असर भी दिख गया है। हालांकि सामाजिक राजनीति महज़ जिला अध्यक्ष के पद तक सीमित नहीं है। बल्कि सामाजिक नेताओं की नज़र सीधे विधानसभा पर है। इसकी रणनीति भी तैयार हो चुकी है। जिस पर खुलकर तो कोई समाजिक नेता नहीं बोल रहा है। लेकिन राजनीतिक प्रभाव वाले सामाजिक नेताओं की सक्रियता उसी ओर इशारा कर रही है। जिले के घर घर तक सर्वे किया जा रहा है। कि किस गांव में कितने समाजिक मतदाता हैं। जिला अध्यक्ष टिलेश्वर साहू का दावा है,कि अनुमानित रूप से जिले में 80 हज़ार से ज्यादा साहू सामाजिक जन हैं। हालांकि ये आंकड़ा आधिकारिक नहीं है। साहू ने कहा यह सामाजिक प्रक्रिया है। और पूर्व से इस तरह से कार्य होता रहा है।
भाजपा में है ज्यादा दखल
साहू समाज के सामाजिक नेताओं का ज्यादा दखल भाजपा में ही है। ऐसे में भाजपा के लिए टिकट चयन टेढ़ी खीर साबित होने जा रहा है। भाजपा के जिला अध्यक्ष घम्मन साहू,साहू समाज के जिलाध्यक्ष हैं। समाज के जिला अध्यक्ष टिलेश्वर साहू,भाजपा खेमे से पूर्व में जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं। नेत्री लीमेश्वरी साहू,जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। पति हेमू साहू भी सामाजिक और राजनीतिक दोनों ओर से सक्रिय हैं। वरिष्ठ सामाजिक नेता नूनकरण साहू भी वर्तमान में मंडल भाजपा अध्यक्ष हैं।
कांग्रेस में भी बना सकते हैं दबाव
समाज के कांग्रेस पार्टी में भी सक्रिय नेता टिकट को लेकर जातिगत आंकड़ों के आधार पर दबाव बना सकते हैं। जिसकी सम्भावनाएं भी नज़र आ रही हैं। पूर्व जनपद अध्यक्ष गंडई भुवनेश्वर साहू सहित अन्य हैं। जो लगातार कांग्रेस में टिकट की दावेदारी करते रहे हैं।
अपने - अपने दावे
जातीय आधार पर बंट चुकी विधानसभा में सभी जातियों के अपने दावे हैं। जहां लोधी समाज पहले ही बाहुल्यता के आधार अपने दावे कर चुकी है। और लगातार लोधी समाज के सामाजिक जन ही विधानसभा को सुशोभित कर रहे हैं। तो अब साहू समाज ने बाहुल्यता का हवाला दे दिया। वनवासी क्षेत्र में आदिवासी समाज की भी बाहुल्यता है। ऐसे में प्रत्येक समाज अपने अपने दावों के आधार पर सत्ता की चाबी पर दावा ठोंकने तैयार है।