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- भाजपा जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायकों को जबरिया होम क्वारेंटाइन करना राज्य सरकार के तानाशाह होने का परिचायक : चुन्नीलाल साहू
- सांसद साहू ने लगाया आरोप, कहा- - क्वारेंटाइन सेंटरों में व्यवस्था और सुविधा देने में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार नाकाम।
- विफलता छिपाने भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं के साथ की जा रही पूर्वाग्रह कार्रवाई।
- रैपिड किट की जांच में रिपोर्ट नेगेटिव मिलने के बावजूद होम क्वारेंटाइन करना गलत।
महासमुंद : भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायकों को जबरिया होम क्वारेंटाइन किए जाने से नाराज सांसद चुन्नीलाल साहू ने छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर तानाशाह होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि क्वारेंटाइन सेंटरों में सुविधा और व्यवस्था देने में यह सरकार नाकाम रही है, जिसके कारण सेंटरों में लोग दूसरी बीमारी की चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं। उन्होंने सराईपाली के कलेंडा स्थित क्वारेंटाइन सेंटर में महिला की मौत का जिक्र करते हुए राज्य सरकार पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया, और कहा कि यहां के सेंटर में जुडवां बच्चों की मां एनिमिया से पीडित थी, जानकारी होने के बाद भी उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया गया।
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क्वारेंटाइन सेंटर में अव्यवस्था से मौत का यह पहला मामला नहीं है, गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक स्थित धोबनीघोड़ा के सेंटर में भी 25 वर्षीय एक आठ माह की गर्भवती ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। धोबनीघोडा और कलेंडा समेत राज्य के लगभग सभी क्वारेंटाइन सेंटरों में सुरक्षा और व्यवस्था लचर है। सेंटरों में कोई भी लोगों की आवाजाही हो आम कर दिया गया है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। खतरे की आशंका वाली शिकायतें लगातार मिलने से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता सेंटरों का निरीक्षण करने जा रहे हैं तो उनके साथ जोर-जबरदस्ती की जा रही है। उन्होंने बताया कि शिकायत की वास्तविकता देखने के लिए राज्य की पूर्व संसदीय सचिव और भाजपा की जिलाध्यक्ष रूपकुमारी चौधरी के साथ पूर्व विधायक डा विमल चोपड़ा, रामलाल चौहान व त्रिलोचन पटेल कोविड 19 के कोरोना संक्रमण से बचने के सभी एतिहातन उपायों के साथ कलेंडा पहुंचे थे, लेकिन सहयोग करने के बजाए शासन और प्रशासन के लोगों ने उन्हें वस्तुस्थिति से दूर कर दिया।
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रैपिड किट की जांच में रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद चारों नेताओं को होम क्वारेंटाइन में रहने का आदेश दिया गया है, यह न्यायोचित नहीं है। सांसद साहू का कहना है कि कलेंडा समेत किसी भी सेंटर में क्वारेंटाइन किए गए लोगों को स्वास्थ सुविधाएं नहीं दी जा रही है। अपनी पीठ थपथपा रहे मुख्यमंत्री सांसद चुन्नीलाल का आरोप है कि राज्य के मुख्यमंत्री एक सर्वे के जरिए खुद को श्रेष्ठ घोषित करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। कोविड 19 के लिए छत्तीसगढ़ में ईमानदारी से सुरक्षा और व्यवस्था के मापदंड तैयार किए जाते तो संक्रमित लोगों की संख्या रोज नहीं बढ़ती। महासमुंद में श्रमिकों को सरकारी व्यवस्था से परिवहन कराने वाला एक ड्राइवर पीडित निकला है। व्यवस्था ठीक रहती तो वह इस संक्रमण से बच सकता था, लेकिन राज्य सरकार ने युवक के होम क्वारेंटाइन को गंभीरता से लेने के बजाए उसे उसके हाल पर छोड़ दिया और परिणाम महासमुंद की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने श्रेष्ठता के लिए कराए गए सर्वे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि 22 मार्च से लाक डाउन के चलते लोग घरों में हैं, तो फिर कहां और किससे सर्वे कराया गया।
उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसी एजेंसी के सर्वे में श्रेष्ठ हो सकते हैं लेकिन जनता के सर्वे में वे फेलुअर हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के भरोसे छोड़ दिए सेंटर सांसद साहू ने राज्य सरकार पर आराेप लगाया है कि गांवों के क्वारेंटाइन सेंटरों को पंचायत प्रतिनिधियों के भरोसे छोड़ दिया गया है। राज्य सरकार को छत्तीसगढ़ की जागरुक जनता ने कोविड 19 से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में खुले हाथ से मदद पहुंचाई है, बावजूद इसके सेंटरों में भोजन और जरूरी सुविधाओं के लिए लोगों को मुंह ताकनी पड़ रही है। भाजपा के नेता लोगों की तकलीफों से वाकिफ होकर उन्हें सीधे मदद पहुंचाने जा रही है तो उन्हें होम क्वारेंटाइन कर पखवाड़ेभर के लिए रोका जा रहा है।
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पंचायत प्रतिनिधियों के पास कोविड 19 के लिए कोई बजट नहीं होने के कारण वे चाहकर भी स्थानीय व्यवस्था नहीं दे पा रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों को बिना बजट ही क्वारेंटाइन सेंटरों की जिम्मेदारी देकर उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। पक्षपात कर रही राज्य की कांग्रेस सरकार सांसद साहू ने राज्य सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।
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