डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र बीते साढ़े चार साल राजनीति का अखाड़ा बना रहा। हर छोटे-बड़े काम का श्रेय लेने होड़ मची रही। इसका नतीज यह रहा कि पूरे क्षेत्र में कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हो पाया। लालबहादुर नगर ब्लाक नहीं बन पाया। अर्जुनी में कालेज की स्थापना नहीं हो पाई। ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव में हाट-बाजार का निर्माण अब तक अधूरा है। बड़ी बात यह है कि विधायक दलेश्वर खुद एक उन्न्त और बड़े किसान हैं, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान किसानों को उन्न्त खेती के लिए प्रशिक्षित नहीं करा पाये। इतना ही नहीं, विधानसभा क्षेत्र में तीन बड़े बांध सूखानाला, खातूटोला और मड़ियान जलाशय का भी लाभ किसानों को अपेक्षित रूप से नहीं मिल पा रहा है। एक भी नया जलाशय या नया एनीकट 2003 के बाद से नहीं बनाया जा सका।

 

भूगोल: इसका एक हिस्सा बागनदी महाराष्ट्र की सीमा से जुड़ा हुआ है। क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा जंगल है। घने जंगलों में सागौन के अलावा कई इमारती लकड़ियों का भंडार तो है ही, खनिज संपदाओं से भी भरा है। शिवनाथ नदी के तट पर बसा यहां का सांकरदाहरा प्रयाग के नाम से जाना जाता है।

प्रशासन: विधानसभा मुख्यालय डोंगरगांव नगर पंचायत है। इसके अलावा इस क्षेत्र में एक भी नगरीय निकाय नहीं है। लालबहादुर नगर को नगर पंचायत बनाने की मांग उठ रही है। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में करीब 126 ग्राम पंचायतें हैं। पूरा इलाका शहरीकरण की दौड़ में काफी पीछे है।

आर्थिक: विधानसभा मुख्यालय और आसपास के गांवों के लोगों के लिए रोजगार साधन व्यापार-व्यवसाय ही है। कुछ बड़ी निजी कंपनियों में भी काफी लोग काम करते हैं। खेती ग्रामीणों का जीवनयापन का मुख्य साधन है। नदी किनारे के गांवों में दोहरी फसल के चलते किसानों को भी सालभर रोजगार मिल जाता है।

शिक्षा: ब्लॉक मुख्यालय के अलावा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव लाल बहादुरनगर और कोकपुर में भी कॉलेज की जरूरत है। अर्जुनी में प्रस्तावत है। वैसे तो हर गांव और पंचायत में स्कूल है, लेकिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। लालबहादुर नगर में आइटीआई की शुरुआत हो चुकी है।

स्वास्थ्य: ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव के अलावा कहीं भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। कोकपुर, लालबहादुर नगर समेत छह अन्य बड़े गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा का दावा जरूर किया जा रहा, लेकिन अधिकांश में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है।

सड़कें: पूरे क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया जा चुका है। दर्री और बेंदरकट्टा के बीच पुल नहीं होने से बरसात में कई गांव ब्लॉक मुख्यालय से कट जाते हैं। कुछ गांव ऐसे हैं जहां आज भी पक्की सड़क नहीं है। कई गांवों में कच्ची या पक्की सड़क है, लेकिन खराब स्थिति में। पीएमजीएसवाय और मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत अब कई गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने का काम चल रहा है।