छत्तीसगढ़ महतारी मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर आरती उतारी। तैं अस धान के कटोरा सुघर लछमी के कोरा। तोला छोड़ के काहाँ जाई इहाँ रतनपुर महमाई। इहाँ डोंगरगढ़ बमलाई इहाँ तपसिन संवरी दाई।। खप्परधारी ओ कंकालीन जउन रकसा संघारिन आसीस देवयँ भरपूर लोकदेव भँइसा सूर सीतला संग सत बहनियाँ सुमरथें संझा बिहनियाँ जउन पावयँ पहिली नेवता ओ बिराजै ठाकुर देवता तोर छाती म ओ। मोर छत्तीसगढ़ महतारी… गँडवाबाजा के गुड़दुम रेंहचुल के चुर्रुक चूँ जँवारा लील्ला नवधा सोहर भोजली के गाना आनी बानी के हाना घर-घर म तुलसी चौंरा सिरजैं गउरी अउ गउरा तोर माटी म ओ। मोर छत्तीसगढ़ महतारी… जिहाँ खेत खार परिया असनाँदे बर तरिया मन मगन होय लहरिया गावयँ सुघर ददरिया हरियर मँड़वा गड़ाके सुघर नेवता भेजा के नेंग हरदी सुपारी गावयँ गुरतुर गारी अँखरा के संग परघौनी ओ अलकरहा भड़ौनी भरे हे ताेर झाँपी म हो। मोर छत्तीसगढ़ महतारी…  प्रो. डॉ. राजन यादव हिंदी विभाग इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ और इसे भी पढ़ें... स्त्री महोत्सव: तानपुरे का सुर व तबले की ताल पर मंजुषा ने गाया खयाल, सरोद-सितार पर खेला श्रीलंकाई हुनर, आनंद मंगलम के घुंघरुओं से गूंजा समा |