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सिंगारपुर के ऐतिहासिक निस्तारी तालाब को पाटने की शिकायत लेकर सैकड़ों की संख्या में तहसील कार्यालय पहुंचे ग्रामीण Featured

सांसद प्रतिनिधि को वस्तु स्थिति से अवगत कराते सिंगारपुर के ग्रामीण सांसद प्रतिनिधि को वस्तु स्थिति से अवगत कराते सिंगारपुर के ग्रामीण

 

खैरागढ़. निस्तारी तालाब पाटने की शिकायत को लेकर सिंगारपुर व गोपालपुर के सैकड़ों किसान तहसील कार्यालय पहुंचे। सिंगारपुर की सरपंच उर्मिला वर्मा,पूर्व सरपंच कमलेश्वर सिंह,प्रतिनिधि राजेंद्र वर्मा,हेमंत सिंह सहित अन्य ने बताया कि सिंगारपुर स्थित भूमि खसरा नंबर 136 तालाब है,व खसरा नंबर 135 तालाब का पार है। तालाब ग्रामवासियों के निस्तार का स्थान है। ग्राम के मवेशी भी पेयजल के लिए तालाब पर ही आश्रित हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों से तालाब के मालिक किशोर बैद पिता भंवरलाल लगातार तालाब को पटवाने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि अधिकार अभिलेख व निस्तार पत्रक सहित अन्य अभिलेखों में तालाब का उपयोग परम्परागत रूप से वर्षों से आम निस्तार के रूप में होता रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गाँव के कुछ लोगों को बहला फुसलाकर और पैसों का लालच देकर तहसील कोर्ट में सहमति प्रस्तुत कराया गया है। जो पूरी तरह से भ्रामक है। ज्ञापन सौंपने वालों में फुलेश्वर,बंशी,श्रवण कुमार, रूपेंद्र सेन,कुबेर,श्रीराम, तोरन, मंगलू सहित बड़ी संख्या ग्रामवासी मौजूद रहे।

पाटकर करना चाहते हैं व्यावसायिक उपयोग

ग्रामवासियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि तालाब मुख्य मार्ग के पास स्थित है। और बिना पंचायत की किसी अनापत्ति के व्यवसायिक उपयोग की मंशा के साथ तालाब को पाटने का काम किया जा रहा है। जबकि तालाब में आम जन अभी निस्तारी का कार्य करते हैं। साथ ही मवेशियों के लिए भी तालाब एक आसरा है।

स्थगन जारी रखने की मांग

ग्रामीणों ने तहसीलदार से मांग की कि लोकहित व ग्राम शांति कायम रखने के लिए 10 मई को स्थगन आदेश जारी किया गया है। जिसे यथावत रखा जाए। ग्रामीणों ने मामले की शिकायत ठेलकाडीह थाना सहित अन्य जगहों पर भी की है।

नहीं किया जा सकता मूल स्वरुप से खिलवाड़

मामले में विधि विशेषज्ञ व अधिवक्ता राजीव चंद्राकर ने बताया कि इस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट की स्पष्ट गाइड लाइन है कि किसी भी सूरत में तालाब के मूल स्वरुप से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। फिर चाहे वह तालाब निजी ही क्यों न हो। क्योंकि वह सालों से आम निस्तार की जगह रही है। यदि तालाब वाजिब - उल - अर्ज में दर्ज है तो पाटा नहीं जा सकता।

रहा है ऐतिहासिक महत्व

सिंगारपुर का उक्त तालाब ऐतिहासिक महत्व का रहा है। और राजा कमल नारायण सिंह के स्वसुर सूबेदार प्रकाश सिंह के वंशजों की पैतृक सम्पति रही है। जो बेच दी गई। तालाब गोपालपुर के अष्टभुजि श्री गणेश मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। तालाब में रियासत काल में सिंघाड़ा व कमल फूल की खेती होती थी।

सांसद प्रतिनिधि को भी कराया अवगत

सरपंच सहित ग्रामीणों ने सांसद प्रतिनिधि भागवत शरण सिंह से भी मुलाक़ात कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया। और बताया कि तालाब को पाटने से निस्तारी पर तो असर पड़ेगा साथ ही ग्राम का पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ेगा।

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