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'घर-वापसी': गांवों और शहरों से निकले विस्थापित युवाओं की कहानी, लेखक अजीत भारती का साक्षात्कार

अजीत भारती पेशे से पत्रकार हैं, और अपने ख़ाली समय में ब्लॉग आदि से लेकर बाक़ी लेखन कार्य करते हैं. इनका व्यंग्य-संग्रह 'बकर पुराण', हिन्दी भाषा के हास्य-व्यंग्य के वर्ग में, दो सालों से सबसे चर्चित और बेस्टसेलर रहा है. आज उनकी दूसरी किताब 'घर-वापसी' का विमोचन है. इस खास अवसर पर हमने उनका इंटरव्यू कर लिया:

1. सबसे पहले आपका परिचय और आने वाली किताब के बारे में बताएं.

परिचय इतना है कि मैं बिहार के बेगूसराय ज़िले के छोटे से गांव रतनमन बभनगामा का रहने वाला हूूं. प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया में हुई. उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ी मल कॉलेज से अंग्रेज़ी साहित्य से बीए (ऑनर्स) किया. फिर पत्रकारिता से एमए किया और दिल्ली में ही एडिटर के तौर पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इकनॉमिक टाइम्स आदि में काम किया. आने वाली किताब, ‘घरवापसी’, एक उपन्यास है, जो कि ‘बकर पुराण’ के बाद मेरी दूसरी किताब है. इसमें मैंने विस्थापित युवा के आंतरिक और बाह्य संघर्ष की कहानी कहने की कोशिश की है, जिसकी जड़ में नब्बे के दशक का एक बच्चा है जो इस प्रश्न का पीछा करते हुए घर से बाहर आ जाता है कि उसे क्या बनना है.

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Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:18

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