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एक जनपद : एक उत्पाद से शिल्पकारों और किसानो की होगी आय में वृद्धि

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई एक जनपद : एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की थी।

इस योजना की शुरुआत जनवरी 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। अब केंद्र सरकार इस योजना के दायरे का विस्तार कर इसे केंद्रीय स्तर पर लागू करने पर विचार कर रही है। इस योजना से कारीगरों और शिल्पकारों समेत किसानों की भी अपनी आय की वृद्धि करने में सहायता मिलेगी। 

इस योजना का उद्देश्य उत्तरप्रदेश में विशिष्ट पारंपरिक उत्पाद औद्योगिक केंद्रों की स्थापना कर उन पारंपरिक उद्योगों का विस्तार करना है, जो राज्य के संबंधित जनपदों के पर्याय हों। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद को एक विशिष्ट उत्पाद या कला से जोड़कर उसे प्रोत्साहन दिया जा रहा है। किसी क्षेत्र के खास उत्पाद एवं हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने से उस कला या उत्पाद विशेष को तो नया जीवन मिल ही रहा है, साथ ही कारीगरों के जीवन में भी बदलाव आ रहा है।

इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने पांच वर्षो में 2,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के जरिये 25 लाख लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस स्कीम से उत्तर प्रदेश की जीडीपी में दो फीसद की वृद्धि की उम्मीद जताई गई है।

इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार के द्वार खुलेंगे। उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है, जिसका हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में 44 फीसद तक की हिस्सेदारी है। राज्य के हर जनपद को किसी विशेष कला एवं उत्पाद के लिए जाना जाता है।

हालांकि सरकारी उपेक्षा, महंगी बिजली, बाजारों में चीन के उत्पादों की भरमार और इन उत्पादों की मांग में कमी आने तथा प्रोत्साहन के अभाव में कई परंपरागत उद्योग लुप्त होने के कगार पर हैं। कारीगर पीढ़ियों से अपने आस-पास उपलब्ध संसाधन से कोई न कोई खास उत्पाद को तैयार तो कर रहे हैं, लेकिन तकनीक एवं पूंजी की कमी के चलते वह बदलते बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं।

देश में ऐसे अनगिनत स्थानीय उद्योग हैं, जिनकी पहचान एक सशक्त कुटीर उद्योग के रूप में रही है। ओडीओपी योजना के लागू होने के बाद कारीगरों को अपने परंपरागत उद्योगों से जुड़े रहने की एक बड़ी वजह मिल गई है।

स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को विश्व के कई देशों में गांव, उप-जिला, शहर अथवा जिला स्तर पर पहले भी लागू किया जा चुका है। 

ओडीओपी योजना के जरिये स्थानीय शिल्प के संरक्षण एवं विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है। इससे स्थानीय कला एवं तकनीक का विस्तार तो होगा ही, शिल्पकारों तथा कारीगरों की आय में वृद्धि के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी किया जाएगा।

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रागनीति डेस्क-1

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