नगरनार स्टील प्लांट में काम कर रहे यह ठेका मजदूर लंबे समय से यहां फंसे हुए हैं । इन मजदूरों के पास ना राशन है ना पैसे और ना ही कोई मदद जिस ठेका कंपनी के साथ अनुबंध में यह मजदूर यहां काम करने आए थे उसके कर्मचारी लॉकडाउन के बाद से बाहर है, संपर्क नहीं होने की वजह से अब इनके सामने रोजी रोटी के साथ पेट पालने की भी समस्या सबसे बड़ी खड़ी है । एक साथ असुरक्षित तरीके से रह रहे मजदूर कोरोना संक्रमण के से भी सुरक्षित नहीं है ।इनकी मांग है कि किसी तरह इन्हें विशेष अनुमति देकर इनके गांव तक पहुंचने में मदद की जाए है।
नगरनार के आसपास ही करीब ऐसे 5000 मजदूरों के लॉक डाउन के दौरान फंसे होने की सूचना है इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल या गाड़ियों के जरिए सफर कर रहे मजदूरों को भी निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने जहां मिले वहीं रोक दिया है । इनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है, और इन्हें राशन उपलब्ध कराया जा रहा है । अब तक ऐसे करीब 9000 के आसपास मजदूर बस्तर के अलग-अलग इलाकों में फंसे हुए हैं जो अपने घर जाने का इंतजार कर रहे हैं । इन्हें लगातार निगरानी में भी रखा गया है । इन मजदूरों को अन्य लोगों से अलग आइसोलेट किया गया है। लेकिन जिस समूह में यह चल रहे हैं वे सारा
हालांकि इस पर प्रशासन का कोई खास ध्यान नहीं है क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में मजदूरों के लिए इंतजाम करना काफी मुश्किल है और 21 दिनों के लिए इनके लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना भी चुनौतीपूर्ण खर्चीला है । मीडिया में रिपोर्ट जाहिर होने के बाद अभी इन मजदूरों को मदद के लिए और इन्हें स्वस्थ रखने के लिए मेडिकल टीमें भी लगाई गई हैं । जिला प्रशासन इन्हें आवश्यक मदद करने की कोशिश कर रहा है ।