खैरागढ़ राजफेमिली निवासी 32 वर्षीय युवक की मौत के जिम्मेदार दोनों झोलाछाप डॉक्टर जमानत पर रिहा, जांच में भी ढिलाई बरत रहा प्रशासन।
खैरागढ़ में झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से 32 वर्षीय युवक की मौत के 12वें दिन प्रशासनिक टीम ने झोलाछाप डॉक्टर देवीलाल भवानी की क्लिनिक का ताला खोला। शुक्रवार को प्रशासनिक टीम रपटा के पास स्थित अरुण भारद्वाज के मकान में पहुंची, लेकिन टीम में वे लोग अनुपस्थित थे, जिन्हें इस फील्ड की पुख्ता जानकारी है।
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शनिवार सुबह तकरीबन 11 बजे एएसआई एआर साहू क्लिनिक से गिनती की जब्त दवाएं लेकर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीएस परिहार के पास पहुंचे। वहां आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नेहा साहू के साथ मिलकर डॉ. परिहार ने दवाओं की रिपोर्ट बनाई।
इस जांच की बड़ी खामी ये कि टीम में शामिल मेडिकल अफसरों को शुरू से नजर अंदाज किया गया, जबकि उनकी ही भूमिका अहम थी। झोलाछाप डॉक्टरों की योग्यता, उनके उपचार के तरीके, दवाओं की प्रकृति और क्लिनिक या डिस्पेंसरी खोलने के नियम-कानून की जानकारी होने के कारण ही मेडिकल अफसरों को शामिल किया गया था, लेकिन हुआ ठीक उल्टा। रागनीति ने क्लिनिक सील करने वाले दिन ही जांच पर संदेह जताया था।
युवक की मौत के दूसरे दिन पहुंची जांच टीम ने ताला ही नहीं तोड़ा, इसकी वजह से मौके पर मोजूद होते हुए भी मेडिकल अफसर क्लिनिक का मुआयना नहीं कर पाए। मौत के 12 दिन बाद जब ताला खुला, तो भी उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं समझी गई।
गुरुवार को जाकर लौट आई थी टीम
इससे पहले गुरुवार (7 जनवरी) शाम को भी यह टीम अरुण भारद्वाज के मकान तक पहुंची थी। तब डॉ. परिहार थे, लेकिन नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर की व्यस्तता के चलते कार्रवाई न हो सकी। डॉ. परिहार ने बताया के दूसरे दिन शुक्रवार को वे शहर से बाहर थे, यह बात उन्होंने एएसआई को पहले दिन बता दी थी।
औजार नहीं मिला, मिली मामूली दवाइयां: लीलाधर कंवर
सवाल: आप लोगों ने झोलाछाप डॉक्टर की क्लिनिक खोली, तो क्या-क्या मिला?
जवाब: कुछ नहीं था, एक दवाई थी। इंजेक्शन, और पुरानी दवाइयां... पैरासिटामॉल टाइप कुछ-कुछ। ज्यादा कुछ नहीं था, उसकी (देवीलाल भवानी) उपस्थिति में खोले थे। पुलिस ही जांच करेगी, अब।
सवाल: ताला खोलते वक्त डॉक्टर शामिल थे या नहीं?
जवाब: डॉक्टर शामिल नहीं थे। डॉक्टर साहब को थोड़ी प्रॉब्लम थी, इसलिए वे नहीं आए। क्या है कि पुलिस वाले अपराध कायम कर चुके थे, उनकी जिम्मेदारी थी उसको खोलना... मैंने खोल दिया। ज्यादा कुछ नहीं था, वहां।
सवाल: ऑपरेशन के औचार वगैरह भी नहीं मिले? डिग्री, क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन, बोर्ड आदि मिला? क्या इस बारे में कोई पूछताछ की गई?
जवाब: औजार वगैरह तो नहीं मिला। बोर्ड भी नहीं था। डिग्री भी नहीं मिली, अब घर में रखा होगा, तो मैं नहीं बता सकता।
सवाल: आपने मेडिकल ग्राउंड पर कोई रिपोर्ट बनाई है क्या?
जवाब: नहीं… अब पुलिस वाले लिए हैं तो वही लोग रिपोर्ट बनाएंगे।
सवाल: इतनी बड़ी घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई रिपोर्ट भेजे हैं क्या?
जवाब: मुझे आइडिया नहीं है, इसके बारे में। इंडिविजुअली मैं नहीं कर सकता ना। इसके लिए तो टीम ही कार्रवाई करेगी। इसमें पुलिस, डॉक्टर और प्रशासन की तरफ से भी अधिकारी रहेंगे। मैं अकेले तो नहीं कर सकता।
क्लिनिक से मिली शेड्यूल एच व एच-1 की दवा
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. परिहार ने बताया कि एएसआई साहू जो दवा लेकर आए थे, उनमें शेड्यूल एच व एच-1 की दवाएं भी थीं। मोनोसैफ का सील पैक इंजेक्शन मिला है, जिसका डोज मृतक को भी लगाया गया था।
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