संगीत विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल ग्राफिक्स आर्ट फेस्टिवल में आए जम्मू आर्ट कॉलेज के प्रो. हर्षवर्धन शर्मा। प्रो. शर्मा घूम-घूमकर काम करना पसंद करते हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने ने आर्ट की खूबसूरती, आर्टिस्ट की सीमा और कला की शिक्षा पर बेबाकी से बात की।
ये है अंतरराष्ट्रीय कलाकार का परिचय/ जम्मू एंड कश्मीर कश्मीर कल्चरल अवार्ड से सम्मानित हैं प्रो. हर्षवर्धन शर्मा। जम्मू आर्ट कॉलेज के एचओडी हैं। पेंटिंग के लिए ललित कला अकादमी ने उन्हें रिसर्च ग्रांट भी दिया है।

आर्टिस्ट खुद तय करें, आर्ट में कितनी हो आजादी: प्रो. हर्षवर्धन शर्मा
इंटरनेशनल ग्राफिक्स आर्ट फेस्टिवल के दौरान प्रो. हर्षवर्धन शर्मा का अंदाज ही निराला दिखा। वे ज्यादातर समय छात्र-छात्राओं के साथ रहे। उन्हें सिखाया और विश्वविद्यालय के माहौल से सीखा भी। वे बोले- मैं तो बार-बार यहां आना चाहूंगा। पेश है उनसे साक्षात्कार के कुछ अंश:-
सवाल: अगर मैं कहूं कि एक कलाकार होने के नाते आप आर्ट को कैसे देखते हैं?
जवाब: कभी बच्चे को दीवारों पर कोयला चलाते देखा है? पेशाब करने के बाद उसे खेलते-थप थपाते? उसे देखिए। एक रिदम मिलेगी। जंगल के गांवों में घरों की सजावट देखो। कुत्ते, बिल्ली, हिरण, खरगोश के चित्रों में नेचुरल टैलेंट दिखेगा। उन्हें केवल पॉलिश करने की जरूरत है। सीधे-सादे लोग। आर्ट भी सीधा-सादा, लेकिन एडवांस। (कुछ जोर देते हुए) आर्ट होता ही सीधा-सादा है।
सवाल: ये तो ट्रेडिशनल आर्ट की बात हुई?
जवाब: देखिए… इंडियन कल्चर एक फेब्रिक (धागा) है। हर किमी में बोली बदल जाती है। खान-पान, रहन-सहन भी। पहनावे में अंतर आ जाता है। फिर भी एक-दूसरे से चिपके हुए हैं। फेविकॉल की तरह। ये मजबूत जोड़ है…। मार्डन और ट्रेडिशनल सोसायटी इकट्ठे होें तो आर्ट के जरिए एक बड़ा मैसेज दे सकते हैं।
सवाल: ये बताइए कि किसी कलाकार को क्रिएशन के लिए कितनी आजादी मिलनी चाहिए? इसका कोई दायरा है?
जवाब: बहुत अच्छा सवाल है। ये जरूरी भी है। मेरा मानना है कि आर्ट पर अंकुश नहीं होना चाहिए, लेकिन आर्टिस्ट की भी एक रिस्पांसबिलिटी है। आप समाज को बेवकूफ मत समझिए। पुराने मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां वल्गर नहीं हैं। आर्ट में आजादी आर्टिस्ट को खुद समझनी होगी। उसे ही तय करना होगा कि वह दुनिया को क्या दिखाना चाहता है। किसी के अंकुश लगाने से कुछ नहीं होगा।
सवाल: एजुकेशन में इसका ध्यान कैसे रखा जाए?
जवाब: संस्थाओं में अच्छे शिक्षक होंगे तो अच्छी शिक्षा मिलेगी। अच्छे आर्टिस्ट निकलेंगे। अच्छा ही काम करेंगे। जहां शिक्षक में अपरिपक्वता होगी तो स्टूडेंट और उसके आर्ट में भी वह नजर आने लगेगी। कुछ लोग आर्ट के जरिए कुछ सेंसेशन क्रिएट करते हैं। सब समझते हैं कि ये परमानेंट आर्ट नहीं है।
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