×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

Print this page

America और तालिबान के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता

गृहयुद्ध जैसे मुश्किल हालातों से पिछले चार दशकों से जूझ रहे अफगानिस्तान से एक और महाशक्ति के बाहर निकलने की जमीन तैयार हो गई है। कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसकी वजह से वहां से अगले कुछ ही महीनों में अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो जाएगी, लेकिन इसके साथ साथ वहां तालिबान के सत्ता में आने का रास्ता भी खुल जाएगा।
तालिबान व पाकिस्तान के दशकों से चले आ रहे नजदीकी संबंधों को देखते हुए भारत के सुरक्षा और कूटनीति पर भी इस समझौते के व्यापक असर की संभावना जताई जा रही है।
दोहा में अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ और तालिबान के मुल्ला बरादर ने इस समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किये। इस  मौके पर कई देशों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

अमेरिकी सैनिकों की होगी वापसी

समझौते के अनुसार अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों में तैनात 14 हजार अमेरिकी सैनिकों की वापसी होगी। जिसके पहले चरण में 5,000 सैनिकों की वापसी होंगी। इस बीच तालिबान और अफगान सरकार के बीच वार्ता का सिलसिला शुरु होगा ताकि वहां सत्ता भागीदारी को लेकर एक सर्वमान्य सहमति बन सके।

अमेरिका के पास रहेगा सैन्य हमला करने का अधिकार

अमेरिका ने जहां सैनिकों को वापस बुलाने का वादा किया है वहीं तालिबान ने कहा है कि अब उसकी तरफ से अफगानिस्तान में ना तो कोई हिंसा की जाएगी और ना ही किसी तरह के आतंकवादी गतिविधियों में हिस्सा लिया जाएगा। समझौते के बाद पोम्पिओ ने अपने भाषण में उम्मीद जताई कि तालिबान वादे के मुताबिक अल-कायदा के साथ सारे संपर्क तोड़ लेगा। उन्होंने यह भी इशारों में कहा कि हालात बिगड़ने पर अमेरिका के पास सैन्य हमला करने का अधिकार आगे भी रहेगा।

Rate this item
(0 votes)
रागनीति डेस्क-1

Latest from रागनीति डेस्क-1

Related items