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इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति की शिक्षा ले रहे मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल के छात्र

00 छत्तीसगढ़ी लोककला व लोक संस्कृति का बारीकी से कर रहे अध्ययन

00 वर्कशाॅप आयोजित कर लोक कलाओं को सीख रहे छात्र कलाकार

खैरागढ़. मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल के छात्र कलाकार इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में छत्तीसगढ़ी संस्कृति का बारीकी से अध्ययन कर गीत-संगीत सीख रहे हैं। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं नाट्य विभाग तथा इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के संयुक्त तत्वाधान में 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक एक माह का अध्ययन-अध्यापन भ्रमण वर्कशॉप का आयोजन किया गया है।

वर्कशॉप के तहत मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल के निर्देशक टीकम जोशी के निर्देशन में छात्रगण विश्वविद्यालय में रूककर छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य जैसे पंथी, पंडवानी, नाचा, सुआ, ददरिया सहित अन्य छत्तीसगढ़ी लोक गीत-संगीत का गहन अध्ययन कर रहे हैं। इसके साथ ही छात्रों द्वारा इसका मंचन भी किया जा रहा है।

18 नवंबर को मोहनदास चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। 19 नवंबर को चेतन देवांगन के मार्गदर्शन में पंडवानी की प्रस्तुति हुई। 20 नवंबर को पुनम विराट के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ी लोकगीत एवं नृत्य की प्रस्तुति तथा 21 नवंबर को डॉ परमानंद पांडेय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ी के पर्व गीतों पर आधारित कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।


छात्रों ने शिव भोला नाच पार्टी का देखा मंचन


विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग के सहयोग से 24 नवंबर को छात्रगण ग्राम करमतरा पहुंचे जहां के प्रसिद्ध शिव भोला नाचपार्टी मंचन देखकर इससे अवगत हुये। बुधवार 27 नवंबर को कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल ने भोपाल से पहुंचे इन छात्र कलाकारों के वर्कशॉप का अवलोकन किया। इस दौरान लोकसंगीत एवं कला संकाय के अधिष्ठाता डॉ योगेन्द्र चौबे मौजूद रहे। अवलोकन के दौरान छात्रों के द्वारा शानदार पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी गई जिसकी सराहना की गई। कुलसचिव ने छात्र कलाकारों को छत्तीसगढ़ी संस्कृति का बारिकी से अध्ययन कराने की बात कही। वर्कशॉप के अंत में छात्रों के द्वारा 15 एवं 16 दिसंबर को खैरागढ़ में तथा 19 एवं 20 नवंबर को भोपाल में छत्तीसगढ़ी नाट्य मंचन किया जायेगा।

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रागनीति डेस्क-1

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