कहा - बिना आधार भड़कावे में आकर लगाए जा रहे अनर्गल आरोप
ख़ैरागढ़. श्री राम मंदिर बर्फ़ानी धाम ट्रस्ट को फ़र्ज़ी बताने संबंधी विधायक देवव्रत सिंह के बयान पर ट्रस्ट समिति के सदस्यों ने सामुहिक प्रतिक्रिया दी है। ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश बहादुर सिंह,एमडी ठाकुर,विक्रांत सिंह,लाल राजीव सिंह,कुलबीर छाबड़ा,आलोक बिंदल,आशुतोष शरण सिंह,प्रियंक सोनी,भावेश अग्रवाल सहित अन्य ने कहा है कि समिति ट्रस्ट पूरी तरह वैधानिक है,और लोक न्यास पंजीयक अधिकारी के समक्ष विधि अनुसार पंजीकृत की गई है। समिति में राजनीति देखकर नहीं बल्कि बर्फ़ानी धाम व श्री राम मंदिर में आस्था रखने वालों को दादा जी इच्छा अनुसार सदस्य बनाया गया है। क्योंकि दादाजी ने ट्रस्ट निर्माण सम्बंधी सभी कार्यवाही अपने जीवन काल में अपनी मौजूदगी में पूर्ण कराई थी। समिति के सदस्यों ने ट्रस्टियों के करोड़ों रुपए खाने सम्बन्धी बयान को भी निराधार बताते हुए कहा कि बिना आधार के अनर्गल आरोप लगाए हैं। और बर्फ़ानी दादा जी के लाखों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाई जा रही है।
आय - व्यय का संपूर्ण ब्यौरा मौजूद
बर्फ़ानी बाबा के पूरे देश भर में दर्जन भर से ज्यादा आश्रम हैं सभी जगह इसका संचालन बर्फ़ानी बाबा के भक्त ही उनके मार्गदर्शन में करते रहे हैं। ट्रस्ट समिति के पास आय व्यय का संपूर्ण ब्यौरा मौजूद है। समिति ने बयान जारी कर कहा प्रतिष्ठित लोगों पर लगाए जा रहे आरोपों को मनगढंत हैं।
ट्रस्ट में जुड़े हैं प्रतिष्टित लोग
समिति के सदस्यों ने कहा है कि ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश बहादुर सिंह सेवानिवृत्त शिक्षक हैं और पेंशनर संघ के संरक्षक रहे हैं। और लंबी अवधि से पेंशनरों की समस्याओं का निदान कर रहे हैं। सदस्यों में शामिल जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह नगर के प्रतिष्टित नागरिक हैं,और उनके कार्यकाल मे मंदिर को काफी सहयोग मिलता रहा है। कुलबीर छाबड़ा,आलोक बिंदल,लाल राजीव सिंह,आशुतोष शरण सिंह,सहित अन्य प्रतिष्टित कार्यक्षेत्रों से जुड़े रहे हैं। ऐसे निराधार आरोप लगाकर समिति के सदस्यों की अनावश्यक छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
समिति के पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं मौजूद
समिति के सदस्यों ने कहा कि उनके पास समिति से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेज़ मौजूद हैं। विधायक देवव्रत सिंह ,खुद उस परिवार का होने के बाद राजा रविंद्र बहादुर की दानशीलता को नकार सकते हैं। पर ट्रस्ट समिति राजा रविंद्र बहादुर सिंह की दानशीलता को नकार नहीं सकता और सदैव याद रखेगा। स्व.राजा रविंद्र बहादुर सिंह व स्व.रानी रश्मि देवी सिंह की बर्फ़ानी बाबा के प्रति अगाध आस्था थी। और वे दादाजी का सतत सानिध्य प्राप्त करते थे। और इसी सानिध्य के दौरान राजा साहब ने श्री राम मंदिर और उसके आसपास की संपूर्ण सम्पत्ति को बर्फ़ानी बाबा को स्टाम्प में लिखा पढ़ी कर सौंपा था। जिसका अधिकार पत्र ट्रस्ट के पास मौजूद है।
स्वार्थी लोगों के भड़कावे में आकर बयान दे रहे विधायक
समिति के सदस्यों ने कहा स्वार्थ सिद्धि में लगे कुछ लोगों के भड़कावे में आकर विधायक इस तरह का बयान दे रहे हैं। अन्यथा ख़ैरागढ़ राजपरिवार की धर्म के प्रति आस्था और दानशीलता हमेशा से मिसाल रही है। सदस्यों ने कहा कि सभी आवश्यक दस्तावेज़ तहसीलदार के समक्ष मौजूद करा दिए गए हैं। एक तरफ किसी दान पत्र के न होने की बात की जा रही है,फिर दानपत्र के पंजीयन न होने की बात कही जा रही है। इससे यह साबित होता है कुछ लोग विधायक देवव्रत सिंह को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। पर राजा देवव्रत सिंह को समझना होगा कि इससे उन स्वार्थी लोगों का कुछ नहीं बिगड़ रहा है बल्कि आपकी छवि पर असर पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों को भड़काकर राजनीति चमकाने का प्रयास
अन्य लोगों के आरोपों को सिर्फ स्वार्थ सिद्धि बताते हुए समिति के सदस्यों ने कहा कुछ लोग ट्रस्ट पर अनावश्यक निशाना साधा कर स्थानीय लोगों को बरगलाकर अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों का धर्म और आस्था से कोई लेना देना नहीं हैं। समिति ने श्री मंदिर और आसपास के परिसर को पूरी तरह से सुरक्षित रखा है। मंदिर का निरंतर आवश्यकता जीर्णोद्धार किया जाता है। चूंकि ये बर्फ़ानी बाबा जी का अपना नियम रहा है कि वे जहां भी रहे हैं वहाँ मंदिर निर्माण का उनका कार्य आश्रम निर्माण के बाद ही होता है । तो श्री राम मंदिर भी उसी दिशा में अग्रसर रहा है। आने वाले दिनों में मंदिर का निर्माण भी जोर शोर से किया जाएगा। मंदिर के पास ही दस महाविद्या मंदिर का भी भूमिपूजन किया गया है। जिसका भूमिपूजन भी दादाजी ने किया था।
नवीन सिंह दे चुके हैं पद से इस्तीफा
समिति के सदस्यों ने कहा कि समिति के सदस्यों पर अनावश्यक व बेबुनियाद आरोप लगाने वालों पर विधि सम्मत कार्यवाही करने का विचार किया जा रहा है।समिति के सदस्य नवीन सिंह के व्यवहार पर समिति के सदस्यों ने कहा कि नवीन सिंह ने व्यवस्थापक के पद से इस्तीफा दे दिया है। वे 2018 से 2021 तक व्यवस्थापक रहे हैं यदि उनके व्यवहार से स्थानीय स्तर पर किसी नागरिक को ठेस लगी है तो उसके लिए ट्रस्ट समिति खेद प्रकट करती है। परंतु ट्रस्ट की जानकारी में नवीन सिंह ने आश्रम परिसर को व्यवस्थित करने में इन वर्षों में अपना पूरा समय और श्रम दिया।