लीडरों सी तासीर वाले कलाकारों से सजेगा महोत्सव / पं. राजन-साजन ने हृदय योजना में धांधली के लगाए थे आरोप। भारत के संसद में गाने वाली पहली गायिका हैं डॉ. सोमा घोष।
नियाव@ खैरागढ़
1. लोकसभा चुनाव से दो माह पहले होने जा रहे खैरागढ़ महोत्सव में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों की तासीर भी लीडरों वाली है। पहले दिन 14 फरवरी को बनारस के अंतरराष्ट्रीय कलाकार पं. राजन-साजन मिश्र सुर छेड़ेंगे। दो साल पहले इन संगीतज्ञों के प्रदर्शन ने काशी में खलबली मचा दी थी। इनके नेतृत्व में वहां के कलाकारों ने आंदोलन का ऐसा सुर छेड़ा कि प्रशासन के कान खड़े हो गए। बनारस के विकास के लिए बनी हृदय योजना में धांधली के आरोप लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचने की चेतावनी दी।
2. दूसरे दिन 15 फरवरी को मंच पर बैठेंगी डॉ. सोमा घोष। टप्पा-ठुमरी गाएंगी। गजलें सुनाएंगी। वैसे सोमा नेतृत्व करने वाली महिला कलाकारों में से एक हैं। भारत के संसद में गाने वाली पहली महिला गायिका हैं। उनके पिता मदन माेहन चक्रवर्ती एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। तीन दिनी इस महोत्सव में कथक, भरथरी एक लोकगाथा, पंथी नृत्य और कव्वाली के कलाकार भी मंच पर होंगे। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
3. मिश्र जोड़ी ने श्रीलंका में किया था पहला विदेशी शो / पद्मविभूषण राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया। जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में इनकी आवाज गूंजती है। इनके 20 से अधिक एलबम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं। हालही में लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- तेरा देश, मेरा देश के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।
4. भारत रत्न बिसमिल्लाह खां की दत्तक पुत्री हैं डॉ. सोमा / बनारस शैली के गायन ठुमरी, टप्पा, होरी, चैती, कजरी, दादरा और गजल गायकी में निपुण हैं पद्मश्री डॉ. सोमा। गुरु बागेश्वरी देवी से संगीत की शिक्षा पाई। शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिसमिल्लाह खां की दत्तक पुत्री हैं। उन्होंने सोमा को काशी की कोकीला का नाम दिया था। इनके दादा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पाली और संस्कृत के पहले प्रोफेसर थे।
तीन दिवसीय महोत्सव में होंगे ये कार्यक्रम
14 फरवरी: डॉ. आरएस बारले एवं साथियों का पंथी नृत्य, पं. राजन साजन मिश्र का शास्त्रीय गायन, अमृता बारले एवं दल द्वारा भरथरी एक लोकगाथा।
15 फरवरी: डॉ. सोमा घोष का गायन, कथक कलाकार शमा भाटे, तालवाद्य समूह सुखद मुंडे, यशवंत वैष्णव एवं सिद्वेश मायी के बाद मुरादाबाद के कव्वाल असलम साबरी एवं साथी अपनी प्रस्तुति देंगे।
16 फरवरी: शांतीबाई चेलक की पंडवानी, उस्ताद बलजीत सिंह नामधारी का तार शहनाई वादन, डॉ. मृदुला दाढे जोशी एवं दल का सुगम संगीत और आखिर में रमादत्त जोशी और उनके टीम की प्रस्तुति।
महोत्सव के आखिरी दिन आएंगे मुख्यमंत्री बघेल / महोत्सव के आखिरी दिन 16 फरवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ प्रभारी मंत्री मो. अखबर, डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर बघेल, कांग्रेस जिला अध्यक्ष नवाज खान आदि कार्यक्रम के अतिथि होंगे। शुरुआत विधायक देवव्रत सिंह के हाथों से होगी।
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