झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज ने ले ली खैरागढ़ राजफेमली निवासी 32 वर्षीय युवक की जान, आक्रोशित हैं परिजन।
झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से 32 वर्षीय आदर्श पिता कृष्णजय सिंह की सोमवार को मौत हो गई। मंगलवार (29 दिसंबर) को उसका अंतिम संस्कार किया गया। बुधवार को मृतक के बड़ा भाई देवेंद्र कुमार अस्थियां लेकर इलाहाबाद जाने से पहले थाने पहुंचा।
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उसने थाना प्रभारी को आवेदन देकर मांग की कि उसके छोटे भाई का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। आवेदन लेने के फौरन बाद पुलिस ने देवेंद्र का बयान भी ले लिया।
देवेंद्र ने ऑपरेशन करने वाले झोलाछाप डॉक्टर देवीलाल भवानी के साथ अरुण भारद्वाज की भी शिकायत की है। लिखा है कि पाइल्स की समस्या होने पर उसके भाई आदर्श ने भारद्वाज के घर में चल रहे क्लिनिक में गया, जहां दोनों ने कम कीमत में अच्छा इलाज होने का झांसा दिया और उसी दिन ऑपरेशन भी कर दिया।
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ऑपरेशन के बाद आदर्श जब घर पहुंचा तो उसे असहनीय पीड़ा हुई। इसकी सूचना देने के बाद दोनों झोलाछाप डॉक्टरों ने घर पर ही इलाज शुरू कर दिया। देवेंद्र ने बताया कि उसकी हालत लगातार बिगड़ रही थी। रविवार (27 दिसंबर) रात दाेनों (भवानी व भारद्वाज) घर पर ही थे। सुबह 4 बजे आदर्श की तबियत ज्यादा बिगड़ी तो उसे सीधे राजनांदगांव लेकर चले गए। देवेंद्र का आरोप है कि दोनों झोलाछाप डॉक्टरों की घोर लापरवाही की वजह से उसके भाई की जान चली गई।
पीएम रिपोर्ट से होगा खुलासा
इधर पुलिस पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि आखिर मौत का कारण क्या था और मृत्यु कितने बजे हुई। थाना प्रभारी नासिर बाठी का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इलाज में लापरवाही: इन तीन मुख्य बिंदुओं पर हो सकती है जांच
0 कथित डॉक्टर इलाज करने में सक्षम हैं या नहीं? मतलब ये कि उसके पास संबंधित मरीज का इलाज करने की प्रोफेशनल स्किल है या नहीं?
0 यह भी देखा जा सकता है कि डॉक्टरों ने मरीज की बीमारी के अनुसार उसका इलाज किया या नहीं?
0 यह भी परखा जा सकता है कि डॉक्टरों ने पूरी ईमानदारी और सावधानी के साथ इलाज किया या नहीं?
एक दिन इंजेक्शन लगाने गया था, मैंने इलाज नहीं किया है: अरुण भारद्वाज
इस घटना के संबंध में अरुण भारद्वाज का कहना है, ‘मैं इलाज में शामिल नहीं था। एक दिन मरीज का दर्द बढ़ने पर इंजेक्शन लगाने गया था। रविवार रात युवक की कंडीशन बिगड़ी तो भवानी मुझे लेने आया। मैंने देखते ही कहा कि बाहर ले जाने की जरूरत है। इसके बाद तीन लोग उसे साथ लेकर राजनांदगांव निकल गए।’
यह पूछने पर कि उन्होंने सरकारी अस्पताल जाने की सलाह क्यों नहीं दी, भारद्वाज बोले- ‘मैंने कहा बाहर ले जाना है। चूंकि मैं इस पूरे मैटर में था नहीं तो उनसे क्या बोलता, कहां ले जाना है और कहां नहीं! सिर्फ इतना बोला कि यहां के लायक नहीं है।’
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जब उनसे पूछा गया कि क्या डॉ. भवानी आपके साथ ही काम करते हैं, तो भारद्वाज बोले- ‘वह मेरे साथ काम नहीं करते। मैंने उनको कमरा किराए में दे रखा है। मुझे तो प्रैक्टिस बंद किए सात साल हो गए। मैं क्लिनिक में बैठता भी नहीं हूं।’