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गड़बड़ी : जेम से खरीदी में भी बुना गया भ्रष्टाचार का ताना - बाना Featured

15 वें वित्त में भी हुआ झोल झाल का प्रयास

 नगरपालिका में भ्रष्टाचार के बड़े खुलासे जारी हैं, तत्कालीन सीएमओ प्रमोद शुक्ला के कार्यकाल के दौरान 15 वें वित्त की राशि में बड़े गोल माल का प्रयास था। हालांकि बात बनी नहीं और तत्कालीन सीएमओ ने नियम के परे जाकर टेंडर निरस्त कर दिया। जबकि नियमानुसार सीएमओ को बिना पीआईसी के अनुमोदन के टेंडर को निरस्त करने का अधिकार ही नहीं है। केवल पालिका पीआईसी को उक्त निविदा को निरस्त करने का अधिकार है। जबकि उक्त एजेंसी को वर्क आर्डर जारी कर दिया गया था। उसके बावजूद लाभ न होता देख सीएमओ ने आनन फानन में टेंडर निरस्त कर दिया। और फर्म को ब्लैक लिस्टेड भी नहीं किया। 

 

बिना पीआईसी के अनुमोदन निरस्त कर दी निविदा

19 सितंबर 2024 को पालिका ने 1नग स्काई लिफ्ट,2 नग़ मिनी टिप्पर,2 नग हाई ड्रॉलिक ट्रॉली,20 नग मैन्युअल रिक्शा,40 नग हाथ ठेला,150 नग़ स्टील टवीन बीन व 08 नग ई रिक्शा खरीदी के लिए 7 अलग निविदा जारी किए। निविदा विनोद इंटरप्राइजेस,दुर्ग को मिला।फर्म को कार्य आदेश भी जारी कर दिया गया। लेकिन आनन - फानन में बिना पीआईसी के अनुमोदन के सीएमओ ने निविदा निरस्त कर दिया।

 

निविदा राशि से समझिए भ्रष्टाचार का गणित 

उक्त सातों कामों में किस तरह से भ्रष्टाचार का ताना बाना बुना गया था। इसके लिए निविदा के गणित को समझना होगा। और यह पहले तय किया गया था कि कार्य उक्त फर्म को ही दिया जाना है। 1 नग़ स्काई लिफ्ट का लागत मूल्य 35 लाख था। फर्म ने निविदा राशि 34 लाख 987 रूपए व 50 पैसा भरा मतलब लागत मूल्य और निविदा राशि के बीच 99 हज़ार 12 रूपये और 50 पैसे का अंतर था। लेकिन 2 नग मिनी टिप्पर के लिए लागत राशि और निविदा मूल्य दोनों 19 लाख था। इसी तरह 2 नग हाई ड्रॉलिक ट्रॉली के लिए भी लागत राशि व निविदा राशि दोनों 6 लाख रूपये थी। 20 नग़ मैनुअल रिक्शा की लागत राशि 10 लाख के विरुद्ध निविदा राशि मात्र 6 हज़ार रूपए के अंतर 9 लाख 94 हज़ार डाली गई। 40 नग हाथ ठेला के लागत मूल्य 4 लाख के विरुद्ध निविदा मूल्य 6 हज़ार कम 3 लाख 94 हज़ार भरा गया। इसी तरह 150 नग स्टील टवीन बीन के लागत मूल्य 29 लाख 70 हज़ार के विरुद्ध निविदा राशि 29 लाख 51 हज़ार 250 रूपये और 8 नग ई रिक्शा के लागत 28 लाख के विरुद्ध निविदा राशि 27 लाख 81 हज़ार 600 रूपये मतलब क्रमशः 18 हज़ार 750 व 18 हज़ार 400 रूपये के अंतर के साथ राशि भरी गई। लागत व निविदा राशि के अंतर से ही खरीदी से पहले बिठाए गए समंजस्य को समझा जा सकता है। 

 

ताक पर रखे गए नियम

00 पालिका ने बिड का प्रकाशन यूएडी वेबसाइट में नहीं किया।

00 बिड वेंडर से ईएमडी राशि का प्रावधान नहीं किया गया।

00 न्यूनततम दर की स्वीकृति का निर्णय निविदा / क्रय समिति ने नहीं लिया।

00 तत्कालीन सीएमओ ने नियम विरुद्ध जेम पोर्टल खरीदी के संपूर्ण कार्यवाही को निरस्त कर दिया।

 

नहीं किया गया ब्लैक लिस्टेड

निविदा प्राप्त कर्ता फर्म को कार्य आदेश दे दिया गया था। इसके बावजूद समयसीमा में सामग्री आपूर्ति नहीं करने के बाद भी फर्म को ब्लैकलिस्टेड न कर सीधे - सीधे उक्त फर्म को लाभ पहुंचाया गया है। 

 

वेंडर के सिस्टम से पूरी की गई प्रक्रिया

आमतौर पर जेम पोर्टल में खरीदी की कार्यवाही पालिका के सिस्टम से करने का नियम है। लेकिन सूत्रों की मानें तो उक्त निविदा प्रक्रिया पालिका के कंप्यूटर सिस्टम से न कर ठेकेदार या वेंडर के कंप्यूटर या लैपटॉप से किया गया। जिससे प्रक्रिया की गोपनीयता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। आईपी एड्रेस का लोकेशन ट्रेस करने पर बड़ी गड़बड़ी के प्रयासों का खुलासा हो सकता है।

 

लिपिकी त्रुटि होने के कारण किया निरस्त - सीएमओ 

नगर पालिका सीएमओ नरेश वर्मा ने बताया कि उक्त टेंडर में लिपिकी त्रुटि होने के कारण तत्कालीन सीएमओ द्वारा टेंडर को वर्क आर्डर जारी होने के बाद निरस्त किया गया था। चुकी तत्कालीन सीएमओ ने निरस्त कर दिया था तो पीआईसी की बैठक में उक्त प्रकरण को ले जाने का अधिकार मुझे नहीं था इस कारण मैंने नया टेंडर जारी किया है।

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Last modified on Saturday, 05 April 2025 06:43

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