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पांडादाहा क्षेत्र में बिछा तस्करी का जाल,हर दिन होते हैं सैकड़ों गौ वंश पार Featured

ख़ैरागढ़. नवगठित जिले का वनांचल क्षेत्र गौ तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। सैकड़ों की संख्या में गौ वंश बॉर्डर से दूसरे राज्यों को भेजे जा रहे हैं। तस्करी इस खेल में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से लेकर पुलिसिया तंत्र भी शामिल है। जिसे तस्करी के इस बड़े खेल की जानकारी है। पर तस्करी के दलदल में पैर फंसे होने की वजह से कोई भी कार्यवाही तस्करों के खिलाफ सामने नहीं आ रही है। अलबत्ता गौ तस्करों का विरोध करने वाले ज़रूर पुलिस के लपेटे में आ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तस्करों ने वनांचल के गांव चांद गढ़ी को तस्करी का केंद्र बनाया है। जहां सबसे पहले स्थानीय तस्कर गौ वंशों को इकट्ठा करते हैं। फिर वहाँ से प्रधानपाठ बैराज के पैदल रास्ते होते हुए महाराष्ट्र बार्डर के गांव कोरकोटटू ले जाया जाता है। जहां से लारियों में भरकर गौ वंशों को महाराष्ट्र के पिपरिया तक ले जाया जाता है। ऐसा ही हाल छुईखदान क्षेत्र का भी है। यहाँ गौ वंशों को छिंदारी बांध के रास्ते मध्यप्रदेश के टिमकीटोला ले जाने की पुख्ता जानकारी मिली है। गंडई क्षेत्र से रेंगाखार होते हुए सैकड़ों की संख्या में अमूमन रोज़ाना गौ वंशों की तस्करी जारी है।


50 से 100 किमी का सफर तय होता है पैदल


तस्कर गौ वंशों को सफर पैदल ही तय कराते हैं। सफर के दौरान न खाने की व्यवस्था नहीं होती। इसलिए कई गौ वंश मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती हैं। पैदल सफर करना सस्ता भी है। और सुरक्षित भी। क्योंकि आमतौर पर जंगलों के इन रास्तों पर कोई आता जाता नहीं है।


एक दल में 10 से 12 सदस्य,रहते हैं हथियारों से लैस


तस्करी के एक दल में अमूमन 10 से 12 सदस्य होते हैं।जिसमें पहले वो जो चांदगढ़ी जैसे सेंटर के गांवों के बॉर्डर में इन गौ वंशों को इकट्ठा करते हैं। दूसरे वो इन गौ वंशों को पैदल बैराज जैसे रास्तों से बॉर्डर तक पहुंचाते हैं। और तीसरे वो हैं जो बॉर्डर से स्लॉटर हॉउस तक ले जाने का काम करते हैं। सूत्रों ने बताया कि ये तस्कर ज्यादा तर समय ऐसे औजारों से लैस रहते हैं। जिन्हें समय आने पर हथियारों के रूप में उपयोग किया जा सके। 


रोका तो दर्ज हुआ एफआईआर


तस्कर अमूमन पुलिस कार्यवाही से तो बेखौफ़ हैं,पर इनका सामना गौ संरक्षक के नाम से सामने वाले कुछ गांव के युवकों से होता है। पर दो - तीन माह पहले गौ तस्करों का रास्ता रोकने वाले स्थानीय युवकों पर ही पुलिस ने मारपीट की धारा लगाकर कार्यवाही कर दी गई है।


होती है कार्यवाही - एसडीओपी


मामले में एसडीओपी दिनेश सिन्हा ने कहा कि शिकायत व सूचना के आधार पर कार्यवाही होती है। फिलहाल बिलासपुर में हूँ। कल शेष चर्चा हो पाएगी।

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Last modified on Thursday, 14 July 2022 14:53

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