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अविश्वास प्रस्ताव ने छिनी अध्यक्ष की कुर्सी

 

छुईखदान नगरीय सत्ता में काबिज भाजपा की सरकार गिर गई है । पार्षदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मुहर लग चुकी है । अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 3 तो , पक्ष में 12 वोट पड़े । इस तरह लंबी खींचतान के बाद डॉ दीपाली जैन की नेतृत्व वाली भाजपा की नगरीय सरकार गिर गई । गजब की बात तो यह है कि नगरीय सरकार गिराने में भाजपा पार्षद ही सबसे आगे रहे । इससे पहले भाजपा व विपक्षी कांग्रेस के पार्षदों ने मिलकर अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला था । अध्यक्ष दीपाली के खिलाफ 13 पार्षद लामबंद होकर पद से हटाने के लि कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपे थे । खास बात यह है कि अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पार्षदों में सबसे ज्यादा भाजपा पार्षद ही है । क्योंकि 15 सीट वाली छुईखदान की नगरीय सत्ता में भाजपा के 9 पार्षद , कांग्रेस 4 और अन्य के दो पार्षद है । जिसमें से अध्यक्ष - उपाध्यक्ष को छोडक़र भाजपा के 7 सहित 13 पार्षदों ने मोर्चा खोला था ।

 

भाजपा को सता रहा सत्ता परिवर्तन का डर
कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपते ही भाजपा में हड़कंप मच रहा । क्योंकि जिस तरह खैरागढ़ नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जंग देखने को मिली थी । उससे यह कयास लगाया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कांग्रेस कुर्सी तो नहीं छीन लेगी । यहीं वजह थी कि भाजपा संगठन के बड़े नेता डैमेज कंट्रोल करने में जुटे हुए थे । लेकिन पहले पड़ाव में भाजपा असफल रही । अब अध्यक्ष के लिए फिर से जद्दोजहद शुरू होगी ।

संगठन भी नहीं कर पाए डैमेज कंट्रोल
अध्यक्ष और पार्षदों के बीच चल रहा विवाद ने आखिरकार अध्यक्ष की कुर्सी छीन ली । विवाद के अविश्वास प्रस्ताव का रूप लेते देखकर भाजपा जिला संगठन भी डैमेज कंट्रोल करने के लिए मैदान में कूदे थे , लेकिन जिले के शीर्ष नेतृत्व द्वारा पूरे मामले को लेकर छुईखदान में ली गई बैठक भी नाकाफी साबित हुई । वही भाजपा को नगरीय सत्ता से हाथ धोना पड़ा ।

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